“नीलांचल की घाटियों में साधना की अग्नि जली, कामाख्या में त्रिकालज्ञ गुरुदेव ने रचा ऐतिहासिक क्षण”

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 15, 2025 18:21 IST2025-07-15T18:21:23+5:302025-07-15T18:21:49+5:30

ताड़पत्रों की दुर्लभ तांत्रिक पोथियाँ जो सदियों से गुप्त रूप से संरक्षित थीं अब मां कामाख्या की छाया में साधकों के समक्ष प्रस्तुत हुईं।

fire meditation lit valleys of Nilachal Trikaalgya Gurudev created historic moment in Kamakhya | “नीलांचल की घाटियों में साधना की अग्नि जली, कामाख्या में त्रिकालज्ञ गुरुदेव ने रचा ऐतिहासिक क्षण”

सांकेतिक फोटो

Highlights मंत्र शक्ति, अग्नि की लपटें और देवी आहुतियों की महिमा ने पूरे क्षेत्र को जैसे तपोभूमि में बदल दिया।दीक्षा केवल गुरु से मंत्र लेने का कार्य नहीं था यह आत्मसमर्पण की प्रतिज्ञा थी।

जब किसी स्थल पर साधक, साधना और सिद्ध गुरु का संगम होता है, तब वहाँ इतिहास स्वयं आकार लेने लगता है। ऐसा ही एक विरल क्षण 10 जुलाई से 12 जुलाई 2025 तक मां कामाख्या शक्तिपीठ में घटित हुआ, जब त्रिकालदर्शी संत डॉ. प्रेम साईं महाराज जी ने अपने पवित्र चरण वहाँ रखे। मां मातंगी धाम (छत्तीसगढ़) के पीठाधीश्वर डॉ. प्रेम साईं जी ने अपने आगमन से ही वातावरण को अद्भुत ऊर्जा से भर दिया। उनके साथ लाई गईं ताड़पत्रों की दुर्लभ तांत्रिक पोथियाँ जो सदियों से गुप्त रूप से संरक्षित थीं अब मां कामाख्या की छाया में साधकों के समक्ष प्रस्तुत हुईं।

श्रद्धालु, जो भारत के कोने-कोने से और कुछ तो विदेशों से भी पहुंचे थे, उनके लिए यह केवल दर्शन नहीं, बल्कि तांत्रिक चेतना से सीधा साक्षात्कार था। उन्होंने यज्ञ मंडप की परिक्रमा करते हुए इन ग्रंथों को नमन किया और मातंगी के दिव्य रूप के दर्शन किए। “दश महाविद्या यज्ञ”, जो रात्रिकाल में हुआ, उसकी मंत्र शक्ति, अग्नि की लपटें और देवी आहुतियों की महिमा ने पूरे क्षेत्र को जैसे तपोभूमि में बदल दिया।

हर मंत्र के साथ एक नया कंपन वातावरण में महसूस होता रहा। गुरु पूर्णिमा पर दीक्षा समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें कई नवशिष्यों ने दीक्षा लेकर आध्यात्मिक जीवन की ओर पहला दृढ़ कदम रखा। यह दीक्षा केवल गुरु से मंत्र लेने का कार्य नहीं था यह आत्मसमर्पण की प्रतिज्ञा थी।

यह आयोजन न केवल भक्तों के लिए भावनात्मक रूप से समृद्ध रहा, बल्कि तंत्र परंपरा को पुनः जागृत करने वाला युगांतकारी पल सिद्ध हुआ। स्थान मां कामाख्या शक्तिपीठ, नीलांचल पर्वत पर 10 से 12 जुलाई 2025 तक एक विशेष आध्यात्मिक आयोजन संपन्न होगा, जिसमें मां मातंगी दिव्य धाम, छत्तीसगढ़ के पीठाधीश्वर डॉ. श्री प्रेम साईं महाराज की विशेष उपस्थिति रहेगी। यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए साधना, भक्ति और दिव्यता से परिपूर्ण एक अनमोल अवसर प्रदान करेगा।

Web Title: fire meditation lit valleys of Nilachal Trikaalgya Gurudev created historic moment in Kamakhya

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