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Eid-Ul-Fitr 2020: आज हो गया चांद का दीदार तो कल पूरे देश में मनाई जाएगी ईद, कुछ ऐसा है इसका इतिहास

By मेघना वर्मा | Updated: May 23, 2020 11:44 IST

ईद-उल-फितर की तारीख की बात करें तो यदि 23 मई को चांद दिख गया तो 24 मई को ईद मनायी जाएगी। वहीं अगर 24 मई को चांद दिखा तो ईद 25 मई की होगी।

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ठळक मुद्देशव्वाल महीने के पहले दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे। रमजान के महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह के इस दिन पर बक्शीश और ईनाम दिया जाता है।

रमजान का पाक महीना अब खत्म होने वाला है। इसके बाद पूरे देश में ईद मनाई जाएगी। इस बार की मीठी ईद 24 अप्रैल को मनायी जाने की उम्मीद है। अगर 23 मई यानी आज रात को चांद दिख गया तो कल ईद मनाई जाएगी। इस ईद को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। ईद उल-फितर इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनायी जाती हैं। 

ईद को पूरी दुनिया में पूरे धूम से मनाया जाता है। लोग इस दिन घरों में मीठे पकवान बनाते हैं। खासकर सेंवईंयां जरूर बनती है। लोग एक-दूसरे से गले मिलकर शिकवें दूर करते हैं। इस्लाम धर्म में ये त्योहरा भाईचाहे का संदेश देता है। मगर इस बार सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना जरूरी और उचित दोनों है। 

ईद-उल-फितर की तारीख की बात करें तो यदि 23 मई को चांद दिख गया तो 24 मई को ईद मनायी जाएगी। वहीं अगर 24 मई को चांद दिखा तो ईद 25 मई की होगी। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नए कपड़े पहनर नमाज अदा करते हैं और अपने परिवार के अमन चैन की दुआ करते हैं। इस दिन पढ़ी जाने वाली नमाज को सलात अल फज्र कहा जाता है। वहीं ईद से पहले हर मुसलमान के लिए फितरा देना फर्ज बताया गया है। 

गरीब भी मना सकें खुशियां

ईद से पहले हर इंसान को लगभगव पौने दो किलो अनाज या उसकी कीमत गरीबों को दी जाती है। जिससे गरीब व्यक्ति भी ईद की खुशी मना सकें। बताया जाता है कि इसी दिन पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में फतह हासिल की थी। इसी युद्ध में फतह पाने की खुशी में लोग ईद को मनाते हैं। 

दी जाती है बक्शीश

रमजान के महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह के इस दिन पर बक्शीश और ईनाम दिया जाता है। इसलिए इस दिन को ईद कहते हैं। मुसलमान ईद में खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खुदा ने महीने भर के उपवास रखने की ताकत दी। वहीं ईद के ढाई महीने बाद ईद-उल-अजहा आती है। जिसे बकरीद कहा जाता है। 

ईद-उल-फितर का इतिहास

मान्यता है कि शव्वाल महीने के पहले दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे। मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ था। बताया ये भी जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में इस दिन जीत हासिल की थी। तभी से इस दिन लोग सेवईं खाकर मुंह मीठा करते हैं और ईद मनाते हैं। 

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