Dussehra 2019: जब रावण ने शनि देव को भी बना लिया था बंदी, जानिए क्या है उसके दस सिर का राज

By मेघना वर्मा | Published: October 6, 2019 10:58 AM2019-10-06T10:58:23+5:302019-10-06T10:58:23+5:30

कहा जाता है कि रावण का नाम खुद शिवजी ने ही दिया था। रावण को अपने समय का सबसे बड़ा विद्वान भी माना जाता है।

Dussehra 2019: unknown fact about Ravan, all about ravan in hindi | Dussehra 2019: जब रावण ने शनि देव को भी बना लिया था बंदी, जानिए क्या है उसके दस सिर का राज

Dussehra 2019: जब रावण ने शनि देव को भी बना लिया था बंदी, जानिए क्या है उसके दस सिर का राज

Highlightsपौराणिक कथा के अनुसार रावण को संगीत का भी बहुत शौक था। हिन्दू ज्योतिषशास्त्र में रावण संहिता को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

रावण, वो नाम जिसे लोग बुराईयों से जोड़ते हैं। रावण, वो नाम जिसे सुनते ही आखों के सामने दस सिर वाला एक विशालकाय आदमी दिखता है। रावण, वो नाम जिसे आज भी रामायण के माध्यम से पूरी दुनिया जानती है। मगर क्या आप जानते हैं कि रावण को एक सर्वश्रेष्ठ योद्धा के साथ सबसे बड़ा ज्ञानी भी कहा जाता है। 

हर साल दशहरा के मौके पर अच्छाई पर बुराई जीत से रावण का वध किया जाता है। रावण की जिंदगी के वो सभी राज जो वाल्मिकी रामायण में है वो तो सभी ने पढ़ी होगी। मगर रावण के कुछ ऐसे रहस्य भी हैं जिन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं। चलिए आज हम बताते हैं रावण के कुछ ऐसे ही रहस्य जो लोगों को पता होना चाहिए।

रावण, ब्रह्माजी के दस पुत्रों में से एक अनाम प्रजापित का पोता था। कहा जाता है कि रावण, ब्रह्मा जी के ही पडपौत्र था। माना जाता है कि रावण इतना शक्तिशाली था कि उसने नवग्रहों को अपने बस में कर लिया था। कथाओं की मानें तो जब मेघनाथ का जन्म हुआ तब रावण ने ग्रहों को 11वें स्थान पर रहने को कहा था ताकि उसे अमरता मिल जाए। मगर शनि ने ऐसा करने से मना कर दिया था। रावण इतना क्रोधित हुआ था कि उसने शनिदेव पर आक्रमण कर दिया और उन्हें कुछ समय के लिए बंदी बना लिया।

रावण जानता था अपनी मौत का रहस्य

बताया तो ये भी जाता है कि रावण अपने मौत के बारे में जानता था। रावण को पता था कि उसकी मौत भगवान विष्णु के अवतार के हाथों ही लिखी है। रावण ये भी जानता था कि जब तक वो विष्णु के हाथों नहीं मरेगा उसे मोक्ष की प्राप्ती नहीं होगी।

दस सिर या 9 मोतियों की माला

रावण के दस सिर के पीछे एक नहीं बल्कि कई कथाएं चर्चित हैं। कहा जाता है कि रावण कि रावण के दस सिर नहीं बल्कि केवल 9 मोतियों की माला थी। जिसे देखकर लोगों को भ्रम होता था कि उसके दस सिर हैं। इस मोती की माला को रावण की मां ने उसे दिया था। वहीं दूसरी कहानी की बात करें तो रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए जो तप किया था उसमें अपना सिर काटकर शिव को अर्पित किया था। तब शिवजी ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर हर एक टुकड़े को उसका सिर बना दिया था।

रावण संहिता की महत्ता

हिन्दू ज्योतिषशास्त्र में रावण संहिता को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस पुस्तक का निर्माण खुद रावण ने किया था। रावण तीनों लोकों का स्वामी था। अपनी असुरों की ताकत से रावण ने इंद्र लोक से लेकर भूलोक तक सभी पर कब्जा कर लिया था।

रावण को अपने समय का सबसे बड़ा विद्वान भी माना जाता है। इस बात का जिक्र रामायण में भी मिलता है। कहा जाता है कि जब रावण मृत्यु शैया पर लेटा हुआ था तब राम ने लक्ष्मण को उसके पात बैठेने के लिए कहा था ताकि मरने से पहले राजपाठ चलाने और नियंत्रण करने का गुर वो सिख सके। पौराणिक कथा के अनुसार रावण को संगीत का भी बहुत शौक था। 

कहा जाता है कि रावण का नाम खुद शिवजी ने ही दिया था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक रावण, शिवजी को कैलाश से लंका ले जाना चाहता था। मगर इस बात पर पार्वती ने कभी मंजूरी नहीं दी थी। तब रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया था। बाद में शिवजी ने अपना एक पैर कैलाश पर्वत पर रख दिया जिससे रावण की ऊंगली दब गयी। 

दर्द के मारे रावण चिल्लाने लगा पर शिवजी की ताकत को देखते हुए उसने शिव तांडव करना शुरू कर दिया। शिवजी को ये बात बहुत ही अजीब लगी की दर्द में होते हुए भी उसने शिव तांडव किया तो उसका नाम रावण रख दिया। रावण का अर्थ होता है "जो तेज आवाज में दहाड़ता हो। 

Web Title: Dussehra 2019: unknown fact about Ravan, all about ravan in hindi

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