लाइव न्यूज़ :

Dev Uthani Ekadashi 2021: 14 नवंबर को देवउठनी एकादशी, जानें व्रत से जुड़े नियम

By रुस्तम राणा | Updated: November 13, 2021 11:08 IST

माना जाता है कि जो कोई भक्त देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का अनुष्ठान विधि-विधान से करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है।

Open in App

देवउठनी एकादशी व्रत 14 नवंबर को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह के निद्रा काल से जागते हैं और पुनः सृष्टि के पालन का कार्यभार संभालते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन से ही शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इसलिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में इस तिथि का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की जी सच्चे मन से आराधना करने से वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।

इस दिन तुलसी विवाह का होता है आयोजन

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम और मां तुलसी का विवाह होता है। कहा जाता है कि एक बार माता तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज होकर श्राप दे दिया था कि तुम काला पत्थर बन जाओगे। इसी श्राप की मुक्ति के लिए भगवान ने शालीग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया और तुलसी से विवाह कर लिया। वहीं तुलसी को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। हालांकि कई लोग तुलसी विवाह एकादशी को करते है तो कहीं द्वादशी के दिन तुलसी विवाह होता है। माना जाता है कि जो कोई भक्त प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का अनुष्ठान विधि-विधान से करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है। 

देवउठनी एकादशी मुहूर्त 2021

एकादशी तिथि प्रारंभ - 14 नवंबर को सुबह 05:48 बजे सेएकादशी तिथि का समापन - 15 नवंबर को सुबह 06:39 बजे तकव्रत पारण का समय- 15 नवंबर को दोपहर 01:10 बजे से दोपहर 03:19 बजे तक

देवउठनी एकादशी व्रत नियम

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें। भगवान विष्णु जी के समक्ष दीप प्रज्जवलित करें। गंगा जल से अभिषेक करें। विष्णु जी को तुलसी चढ़ाएं। जगत के पालनहार को सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। शाम को तुलसी के समक्ष दीप जलाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अगले दिन द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त पर व्रत खोलें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर प्रसाद वितरण करें। 

इन चीजों का रखें ध्यान

एकादशी के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन चावल, मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि आप एकादशी का व्रत कर रहे हैं दशमी तिथि की शाम को सात्विक भोजन ग्रहण कर एकादशी के पूरे दिन व्रत रखें और द्वादशी तिथि पर पारण मुहूर्त में व्रत खोलें। व्रत में तुलसी पूजा अवश्य करें परंतु तुलसी के पत्ते न तोड़ें।

टॅग्स :देवउठनी एकादशीएकादशीभगवान विष्णुमां लक्ष्मी
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठNovember 2025 Festival List: नवंबर माह में देवउठनी एकादशी, तुलसी विवाह, देव दिवाली सहित अनेकों व्रत-त्यौहार, देखें लिस्ट

पूजा पाठDiwali Puja Time Today: दिवाली पूजा का समय और शुभ मुहूर्त कब है?, 20 अक्टूबर गणेश-लक्ष्मी पूजा...

भारतCJI गवई ने कड़ी आलोचना के बाद 'भगवान विष्णु से पूछो' वाले बयान पर सफाई दी, कहा 'मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं'

पूजा पाठJanmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त को, कब है जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा का समय और सबकुछ

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार