छठ पूजा 2022: इस दिन से प्रारंभ होगा छठ महापर्व, जानिए पूजा की रस्में और महत्व

By रुस्तम राणा | Updated: October 18, 2022 16:04 IST2022-10-18T16:04:08+5:302022-10-18T16:04:08+5:30

इस साल छठ व्रत की शुरुआत शुक्रवार 28 अक्टूबर 2022 से नहाए खाय के साथ होगी। छठ पूजा में नहाय खाय, खरना, अस्ताचलगामी अर्घ्य और उषा अर्घ्य का विशेष महत्व होता है।  

chhath puja 2022 date when is nahay khay kharna arghya know significance of chhath Puja | छठ पूजा 2022: इस दिन से प्रारंभ होगा छठ महापर्व, जानिए पूजा की रस्में और महत्व

छठ पूजा 2022: इस दिन से प्रारंभ होगा छठ महापर्व, जानिए पूजा की रस्में और महत्व

Chhath Puja 2022: छठ महापर्व हिन्दू धर्म का बेहद लोकप्रिय त्योहार है। यह पर्व दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, छठ पर्व कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह छठी मैया एवं सूर्य देवता की आराधना का पर्व है।

विशेष रूप से तो यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, और झारखंड का प्रमुख पर्व है, लेकिन अपनी लोकप्रियता के कारण यह पर्व देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां तक विदेश में इस पर्व की छठा देखने को मिलती है। इस साल छठ व्रत की शुरुआत शुक्रवार 28 अक्टूबर 2022 से नहाए खाय के साथ होगी। छठ पूजा में नहाय खाय, खरना, अस्ताचलगामी अर्घ्य और उषा अर्घ्य जैसी प्रमुख रस्में होती हैं।  

चार दिनों तक चलता है छठ महापर्व

छठ पूजा पर्व चार दिनों तक चलता है। यह व्रत नहाय खाय के साथ शुरू होता है। उसके अगले दिन खरना की परंपरा है। फिर अस्तचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उसकी अगली सुबह उगते हुए सूर्य देव कोय अर्घ्य देने का विधान है। तब जाकर व्रत का पारण किया जाता है। इस प्रकार 36 घंटे का यह निर्जला व्रत होता है।  

छठ पूजा की रस्में 

पहला दिन- नहाय खाय (28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार)
दूसरा दिन- खरना (29 अक्टूबर 2022, शनिवार)
तीसरा दिन- अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य (30 अक्टूबर 2022, रविवार)
आखिरी दिन व चौथे दिन- उदीयमान सूर्य को अर्घ्य (31 अक्टूबर 2022, सोमवार)

कठिन होता है छठ पूजा का व्रत

छठ पूजा का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत 36 घंटों के लिए रखा जाता है। इस अवधि में व्रती को बिना कुछ खाय-पीये रहना पड़ता है। इस पूजा में मन्नत के लिए कुछ लोग जमीन पर बार-बार लेटकर, कष्‍ट सहते हुए घाट की ओर जाते हैं। 

छठ पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि छठी मैया संतान की रक्षा करने वाली देवी हैं और सूर्य की उपासना करने से मनुष्‍य को सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है। जो सूर्य की उपासना करते हैं, वे दरिद्र, दुखी, शोकग्रस्‍त और अंधे नहीं होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एकबार भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को यह व्रत रखने और पूजा करने की सलाह दी थी।

दरअसल महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया। तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) का रखने के लिए कहा। यानि संतान की रक्षा, दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए यह पूजा की जाती है। 

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