देश भर में 31 तारीख से छठ पर्व की शुरुआत हो जाएगी। इस समय छठ की तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। छठ का व्रत विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। चार दिनों तक चलने वाला छठ पर्व सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।
छठ के इस व्रत में भगवान सूर्य और छठी मईया की पूजा की जाती है। छठ को सुहाग की रक्षा के लिए भी महिलाएं रहती हैं। इस व्रत में महिलाएं पूजा के समय नाक से लेकर मांग तक का लंबा सा सिंदूर लगाती हैं। नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस व्रत में खरना और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ये व्रत खत्म होता है। छठ ही एक ऐसा पर्व है जिसमें ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ का पर्व आस्था का पर्व है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना की जाती है। छठ में सबसे पहले नहाया खाय, फिर खरना और इसके बाद तीसरे दिन ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य देव के इस व्रत की काफी मान्यता है। आइए आपको बताते हैं कब से शुरू हुआ छठ व्रत और क्या है इसकी पौराणिक कथा-
छठ पूजा की पौराणिक मान्यता
बताया जाता है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से ही हुई थी। सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूरज देव की पूजा शुरू की थी। वो कर्ण ही थे जो प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। तभी से आज तक छठ की परम्परा जारी है और छठ पर लोग सूर्य की उपासना करते हैं।
इस साल छठ पर्व का शुभ मुहूर्त
छठ पूजा का कैलेंडर
छठ पूजा नहाय-खाए (31 अक्टूबर)
खरना का दिन (1 नवम्बर)
छठ पूजा संध्या अर्घ्य का दिन (2 नवम्बर)
उषा अर्घ्य का दिन (3 नवम्बर)
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-
पूजा का दिन- 2 नवंबर, शनिवार
पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35
षष्ठी तिथि आरंभ- 00:51 (2 नवंबर 2019)
षष्ठी तिथि समाप्त- 01:31 (3 नवंबर 2019)