Chaturmas 2025: कब से शुरू हो रहा है चतुर्मास 2025, जानें महत्व और क्या करें क्या नहीं
By रुस्तम राणा | Updated: July 4, 2025 15:46 IST2025-07-04T15:46:28+5:302025-07-04T15:46:28+5:30
वर्ष 2025 में चतुर्मास 6 जुलाई से शुरू होकर 2 नवंबर को समाप्त होगा। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और किसी भी शुभ कार्य की मनाही मानी जाती है।

Chaturmas 2025: कब से शुरू हो रहा है चतुर्मास 2025, जानें महत्व और क्या करें क्या नहीं
Chaturmas 2025: हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी से चतुर्मास की शुरुआत होती है, जो चार महीनों तक चलता है। वर्ष 2025 में चतुर्मास 6 जुलाई से शुरू होकर 2 नवंबर को समाप्त होगा। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और किसी भी शुभ कार्य की मनाही मानी जाती है। यह काल विशेष रूप से तप, व्रत, संयम और साधना के लिए जाना जाता है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर विश्राम में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी को जागते हैं। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत आदि मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
चतुर्मास 2025 की शुरुआत और समापन
शुरुआत: 6 जुलाई 2025, देवशयनी एकादशी से
समाप्ति: 2 नवंबर 2025, देवउठनी एकादशी को
क्या करें चतुर्मास में
-प्रतिदिन भगवान विष्णु, शिव या अपने ईष्टदेव की पूजा करें
-उपवास, जप, ध्यान और दान का पालन करें
-धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें जैसे श्रीमद्भगवद गीता, रामचरितमानस
-संतों और विद्वानों के प्रवचन सुनें
-अधिक से अधिक सात्विक भोजन ग्रहण करें
क्या न करें चतुर्मास में
-विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य न करें
-मांसाहार, शराब, प्याज-लहसुन और अत्यधिक तले-भुने भोजन से बचें
-परनिंदा, झूठ और क्रोध से दूर रहें
-अनावश्यक यात्रा या भ्रमण से बचें
-नियमों का उल्लंघन न करें, वरना इसका आध्यात्मिक प्रभाव नकारात्मक हो सकता है
धार्मिक महत्व
सावन में शिव पूजा, भाद्रपद में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, आश्विन में नवरात्रि और दशहरा, तथा कार्तिक में दीपावली और तुलसी विवाह – ये सभी पर्व चतुर्मास में ही आते हैं। यह समय भक्तों के लिए साधना और आत्मचिंतन का श्रेष्ठ अवसर होता है। चतुर्मास 2025 एक ऐसा अध्यात्मिक काल है जिसमें संयम और साधना से जीवन में संतुलन, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाई जा सकती है। इस बार आप भी चतुर्मास के नियमों को अपनाकर अपने जीवन में धर्म और शुद्धता का संचार करें।