Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति पर हरिद्वार, ऋषिकेश में गंगा स्नान पर प्रतिबंध, कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर सरकार ने लिया फैसला
By रुस्तम राणा | Published: January 11, 2022 09:21 PM2022-01-11T21:21:02+5:302022-01-11T21:28:35+5:30
हाल में कोविड के मामलों तेजी से हो रही वृद्धि के मद्देनजर हरिद्वार में हर की पौडी, ऋषिकेश में त्रिवेणी तथा अन्य गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है।
देहरादून: इस बार मकर संक्रांति के दिन धर्म नगरी हरिद्वार-ऋषिकेष में आस्था डुबकी श्रद्धालु नहीं लगा पाएंगे। कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार ने इस साल मकर संक्रांति के अवसर पर हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हरिद्वार के जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय और देहरादून के जिलाधिकारी आर. राजेश कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
आदेशों के अनुसार, हाल में कोविड के मामलों तेजी से हो रही वृद्धि के मद्देनजर हरिद्वार में हर की पौडी, ऋषिकेश में त्रिवेणी तथा अन्य गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है। बता दें कि सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश पर मनाए जाने वाले मकर संक्रांति के पर्व पर हरिद्वार और ऋषिकेश में बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने आते हैं।
जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने कहा, हरिद्वार जिला प्रशासन ने 14 जनवरी को 'मकर संक्रांति' पर पवित्र स्नान करने वाले भक्तों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। 'हर की पौड़ी' क्षेत्र में भी प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। 14 जनवरी को रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक रात का कर्फ्यू लगाया जाएगा।
Uttarakhand | Haridwar district administration has put a complete ban on devotees taking holy dips on 'Makar Sankranti', 14 January. Entry at 'Har ki Pauri' area has also been restricted. Night curfew to be imposed from 10 pm- 6am on Jan 14: Vinay Shankar Pandey, DM, Haridwarpic.twitter.com/5qgTVfGRXW
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 11, 2022
14 जनवरी, शुक्रवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से जन्मों जन्मों के पापों, दुख-तकलीफ आदि से छुटकारा मिलता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य के कार्य भी लाभ प्राप्ति के लिए किए जाते हैं।