Baisakhi 2023: कब मनाई जाएगी बैसाखी और पोइला बोइशाख? जानें सिख और बंगाली नववर्ष की सही तारीख और महत्व

By अंजली चौहान | Updated: April 8, 2023 15:43 IST2023-04-08T15:39:39+5:302023-04-08T15:43:35+5:30

वैशाख माह में रबी फसलों की कटाई की जाती है और ऐसे में लोग भगवान को अच्छी फसल के लिए शुक्रिया अदा करते हुए जश्न मनाते हैं।

Baisakhi 2023 When will Baisakhi and pohela boishakh be celebrated? Know the exact date and importance of Sikh and Bengali New Year | Baisakhi 2023: कब मनाई जाएगी बैसाखी और पोइला बोइशाख? जानें सिख और बंगाली नववर्ष की सही तारीख और महत्व

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Highlights14 अप्रैल को इस साल बैसाखी का त्योहार मनाया जाएगाबंगाली नववर्ष के अनुसार, 15 अप्रैल को पोइला बोइशाख मनाया जाएगाबैसाखी का त्योहार फसल अच्छी होने के कारण मनाया जाता है

Baisakhi 2023: बैसाखी का पर्व खुशहाली और समृद्धि का पर्व है, जिसे भारत में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बैसाखी वैशाख महीने की शुरुआत के दौरान मनाया जाने वाला त्योहार है। बैसाखी खासतौर पर सिख समुदाय द्वारा मनाया जाता है और इसे नववर्ष की शुरुआत माना जाता है।

ठीक इसी तरह बंगाली समुदाय में भी नए साल के प्रतीक के रूप में पोइला बैसाखी को मनाता है। इसे पोइला बोइशाख या नोबोबोर्शो के नाम से भी जाना जाता है। यह बंगाली कैलेंडर का पहला दिन होता है। ऐसे में आइए बताते हैं आपको साल 2023 में कब से बैसाखी और पोइला बोइशाख...

बैसाखी कब है?

इस साल बैसाखी या सिख नव वर्ष शुक्रवार 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। बैसाखी एक फसल उत्सव है और लोग इस दिन को बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। वैशाख माह में रबी फसलों की कटाई की जाती है और ऐसे में लोग भगवान को अच्छी फसल के लिए शुक्रिया अदा करते हुए जश्न मनाते हैं। अपनों के साथ इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। यह ज्यादातर हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में मनाया जाता है।

पोइला बोइशाख तिथि 

पोइला बोइशाख या नोबोबोर्शो साल 2023 में शनिवार, 15 अप्रैल को मनाया जाएगा। पोइला बैसाख बंगालियों द्वारा पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और बांग्लादेश में मनाया जाता है। असम में नोबोबोर्शो को बिहू के रूप में मनाया जाता है।

क्या है बैसाखी का महत्व?

बैसाखी धार्मिक और फसल दोनों दृष्टियों से बहुत अधिक महत्व रखती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, यह दिन खालसा (शुद्ध एक) के गठन का प्रतीक है जो 1699 में वैसाखी के दिन हुआ था।

यह वह दिन भी है जब गुरु गोबिंद सिंह ने उच्च और निम्न जाति समुदायों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया था। गुरु ग्रंथ साहिब को शाश्वत मार्गदर्शक और सिख धर्म की पवित्र पुस्तक घोषित किए जाने के साथ सिख गुरु परंपरा समाप्त हो गई।

जानें पोइला बोइशाख का महत्व

पोइला बोइशाख बंगाली नव वर्ष की शुरुआत है। सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण है। यह दिन एक नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और लोग हाल खाता नामक नई खाता बही भी खोलते हैं। लोग भगवान से अच्छी फसल की कामना करते हैं।

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