जम्मू: इस बार पहले ही हफ़्ते में वार्षिक अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग पूरी तरह से पिघल गया था पर बावजूद इसके इसमें शामिल होने वालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ने लगी है। समाचार भिजवाए जाते समय तक 16 दिनों में सवा तीन लाख से अधिक ने पवित्र गुफा में बनने वाले हिमलिंग के दर्शन कर लिए थे। इस बीच इस यात्रा की प्रतीक ‘छड़ी मुबारक’ की विशेष पूजा के कार्यक्रम को भी जारी कर दिया गया था।
यात्रा की प्रतीक ‘छड़ी मुबारक’ की विशेष पूजा कार्यक्रम जारी करते हुए महंत दीपेंद्र गिरी ने बताया कि अमरनाथ यात्रा के लिए भूमि पूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण 21 जुलाई को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में लिद्दर नदी किनारे होगा। इसके साथ ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमरेश्वर धाम की तीर्थयात्रा आरंभ होगी। अलबत्ता, अमरेश्वर धाम के लिए पवित्र छड़ी मुबारक सात अगस्त को अपने विश्रामस्थल दशनामी अखाड़ा से प्रस्थान करेगी।
छड़ी मुबारक को 4 अगस्त को ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर और 5 अगस्त को शारिका भवानी मंदिर ले जाया जाएगा, जिसके बाद 7 अगस्त 2024 को श्री अमरेश्वर मंदिर दशनामी अखाड़ा श्रीनगर में छड़ी स्थापना की रस्में निभाई जाएंगी। 9 अगस्त को नाग-पंचमी के शुभ अवसर पर दशनामी अखाड़ा श्रीनगर में छड़ी पूजन करने के बाद, महंत दीपेंद्र गिरि जी पवित्र छड़ी को स्वामी अमरनाथ जी के पवित्र तीर्थस्थल पर ले जाएंगे, जहां वे 19 अगस्त को श्रावण-पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पूजन और दर्शन करेंगे।
इसके बाद वे क्रमशः 14 और 15 अगस्त को पहलगाम, 16 अगस्त को चंदनवाड़ी, 17 अगस्त को शेषनाग और 18 अगस्त को पंचतरणी में रात्रि विश्राम करेंगे। सरकार को भेजे गए पत्र में महंत दीपेंद्र गिरि जी ने सदियों पुरानी परंपराओं को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध करने और छड़ी मुबारक की आवाजाही को तय कार्यक्रम के अनुसार सुनिश्चित करने तथा पवित्र छड़ी के साथ आने वाले साधुओं और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए सभी उचित निवारक उपाय करने का आग्रह किया है।
महंत दीपेंद्र गिरि जी ने छड़ी मुबारक में शामिल होने के इच्छुक साधुओं और नागरिक समाज के सदस्यों को पंजीकरण कराने की सलाह दी है और कहा है कि केवल वैध यात्रा परमिट वाले पंजीकृत साधुओं व तीर्थयात्रियों को ही तीर्थयात्रा के दौरान छड़ी मुबारक के साथ जाने की अनुमति दी जाएगी। महादेव गिर दशनामी अखाड़ा ट्रस्ट, श्रीनगर ने स्वामी अमरनाथ जी की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए देश भर से आने वाले साधुओं के लिए अखाड़ा भवन, बुद्धशाह चौक, श्रीनगर में उनके भोजन और आरामदायक ठहरने के लिए पिछले वर्षों की तरह सभी व्यवस्थाएं की हैं।