लाइव न्यूज़ :

अहोई अष्टमी 2018: अपनी संतान को अनहोनी से बचाने के लिए राशि अनुसार करें अहोई माता का व्रत, जानें व्रत कथा

By मेघना वर्मा | Updated: October 26, 2018 12:11 IST

AHOI Ashtami 2018: होई को गेरु से बनाकर दीवार पर टांग दिया जाता है या किसी मोटे वस्त्र पर होई काढकर पूजा के समय उसे दीवार पर टांग देते हैं। इसके बाद अहोई माता का व्रत और पूजा करते हैं।

Open in App

देशभर में करवाचौथ के चौथे दिन अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाए जाने वाले इस पर्व को महिलाएं अपने पुत्रों के लिए रखती हैं। अपनी संतान की सुख-समृद्धि के लिए दिन भर व्रत करके होई माता की पूजा करती है और रात में करवा से तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ती है। इस साल अहोई अष्टमी का ये व्रत 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शाम को 5 बजकर 45 मिनट से 7 बजे तक इसका शुभ मुहूर्त होगा। जानिए अपने राशि के अनुसार इस व्रत की पूजा विधि और इसकी कहानी। 

होई के चित्रांकन में ज्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। जिसके पास साही और उसके बच्चों की आकृतियां भी बनाई जाती है। होई को गेरु से बनाकर दीवार पर टांग दिया जाता है या किसी मोटे वस्त्र पर होई काढकर पूजा के समय उसे दीवार पर टांग देते हैं। इसके बाद अहोई माता का व्रत और पूजा करते हैं। अपने राशि के अनुसार भी लोग इसकी पूजा करते हैं। चूंकी 31 अक्टूबर को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में होगा और अपनी ही कर्क राशि में गोचर कर रहे होंगे इसलिए इसका अलग-अलग राशि पर अलग-अलग असर पड़ेगा।

राशि अनुसार करें पूजा

मेष - चंद्रमा का चतुर्थ गोचर होगा सुख की विकास होगा इसलिए माता को  सिंदूर जरूर चढ़ाएं। 

वृष - चन्द्रमा का तीसरा गोचर होगा जो आपके संकल्प शक्ति को बढ़ावा देगा अर्थात इस दिन शिव को सफेद चंदन जरूर चढ़ाएं।

मिथुन - चन्द्रमा का दूसरा गोचर होगा माता को द्रव्य जरूर चढ़ाएं।

कर्क - चन्द्रमा का पहला गोचर होने के कारण सही स्वास्थ्य के लिए सीजन के किसी भी फल का भोग लगाएं।

सिंह  - चन्द्रमा का बारहवां गोचर होने के कारण रोग का भय होगा इसलिए व्रत के दौरान शिव के महामृत्यूंजय जाप का जप करें।

कन्या - चन्द्रमा का एकादश गोचर होने के कारण लाभ जीवन भर बना रहेगा माता पार्वति को सफेद फूलों की माला अर्पित करें।

तुला - दसवां गोचर होने के कारण जो कामकाजी महिला हैं वो अपने कार्यक्षेत्र में बरकत के लिए यथाशक्ति श्रींगार प्रसाधन अर्पित करें।

वृश्चिक - नवम गोचर होने के कारण धर्म की बृद्धि हो इसलिए कथा सुनने के साथ दूसरों को कथा सुनाना भी लाभ प्रद होगा।

धनु - अष्टम गोचर होने के कारण मन में व्याकुलता बनी रहेगी, शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जप करिए।

मकर - सप्तम गोचर होने के कारण सांसारिक सुखों की कामना होगी । माता को घर में बना हुआ मीठा पकवान चढ़ाए।

कुंभ - छठा गोचर होने के कारण शत्रुओं या विपत्तियों पर विजय प्राप्त करने के लिए माता को आलता अर्पित करें।

मीन - पंचम गोचर होने के कारण अपने प्रारब्ध से प्राप्त पाप के नाश के सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सिंदुर अर्पित करना न भूलें   ये है अहोई माता की कथा

प्राचीन काल में एक साहुकार था। जिसके घर में उसकी 7 बहुएं रहती थी। दिवाली के दिन उसकी एकलौती लड़की भी अपने मायके आई हुई थी। एक दिन सभी बहुएं दिवाली पर घर को मिट्टी से लीपने के लिए मिट्टी लेने जंगल गई। उनके साथ उनकी ननंद भी गई थी। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी वहां एक साही का लड़का खेल रहा था। साहू की बेटी से गलती से खुरपी के चोट से साही के बेटे की मौत हो गई। साही इतनी क्रोधित हुई कि उसने साहूकार की बेटी की कोख बांधने की बात कही। 

वचन सुनकर साहुकार की बेटी सभी भाइयों से अपने बदले कोख बंधवाने के लिए प्रार्थना की। उसकी सबसे छोटी भाभी इस बात के लिए राजी हो गई। अब उसके जब भी कोई बच्चा होता तो 7 दिन बाद मर जाता था। ऐसे ही उसके 7 पुत्रों की मौत हो गई। इसके बाद उसने पंडित की सलाह ली तो पंडित ने कहा कि सुरही गाय की सेवा करने से ही लाभ मिलेगा। 

सुरही उस महिला की सेवा से खुश हुई और उसे स्याहु के पास लेकर गई। रास्ते में जब दोनों थक गए तो पानी पीने रुके। इतनें में साहुकार की छोटी बहू की नजर एक गरूड पंखनी पर पड़ी जिसे सांप डंसने जा रहा था। वह फौरन वहां पहुंची और सांप को मार दिया। जब गरूड पंखनी की मां वहां पहुंची तो वर साहुकार की बेटी पर ही चोंच मारने लगी। जब बहू ने बताया कि उसके बच्चे की जान उसी ने बचाई है तो वह खुश हो गई। अपने पंख पर बिठाकर उन्हें स्याहु तक पहुंचा दिया। 

स्याहु ने छोटी बहु की ये सेवा देखी और प्रसन्न हो गई। प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है। 

टॅग्स :अहोई अष्टमीहिंदू त्योहार
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

भारतदरगाह, मंदिर और गुरुद्वारे में मत्था टेका?, बिहार मतगणना से पहले धार्मिक स्थल पहुंचे नीतीश कुमार, एग्जिट पोल रुझान पर क्या बोले मुख्यमंत्री

पूजा पाठKartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा आज, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय