आज सिंधी रीति-रिवाज से होगी दीपिका-रणवीर की शादी, इन खट्टे-मीठे रिवाजों को निभाएगी नई दुल्हन
By गुलनीत कौर | Published: October 29, 2018 12:16 PM2018-10-29T12:16:48+5:302018-11-15T09:57:16+5:30
दीपिका-रणवीर की शादी सिन्धी रीति-रिवाज के अनुसार होगी। लेकिन सिन्धी के बाद साउथ इंडियन स्टाइल में भी शादी हो सकती है।
बॉलीवुड की हिट जोड़ी दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह आखिरकार शादी के में बंध गए हैं। 14 नवंबर को दोपहर इटली में कोंकणी रीति-रिवाज के तहत दोनों ने शादी रचाई है। चूंकि दीपिका साउथ इंडियन कल्चर से जुड़ी हैं ये पहले कोनाक्नी रिवाज से सगाई और फिर शादी की गई।
सी शादी में दीपिका और रणवीर दोनों के बेहद करीबी रिश्तेदार और दोस्त ही शामिल थे। मीडिया को शादी के वेन्यू के आसपास भी आने की अनुमति नहीं दी गई। कोंकणी रिवाज के बाद आज यानी 15 नवंबर को सिन्धी रीति-रिवाज से दोनों की फिर से शादी होगी। क्योंकि रणवीर सिंह सिन्धी परिवार से हैं।
तो आइए आपको बताते हैं कि एक सिन्धी शादी में किस किस तरह के रीति रिवाज को शामिल किया जाता है। ये सभी रिवाज दीपिका पादुकोण के लिए बिलकुल नए और सरप्राइज भरे होंगे।
रणवीर-दीपिका की सिन्धी शादी के रिवाज
सिन्धी हिन्दुओं की एक कम्युनिटी ही है, इसलिए इनकी शादियों में भी शादी से पहले से लेकर शादी के दिन और उसके बाद भी कई छोटे बड़े रिवाज होते हैं। सिन्धी शादी में शादी से पहले 'कच्ची मिश्री' रस्म निभाई जाती है जिसमें होने वाले वर-वधु का परिवार एक दूसरे से पहली बार मिलता है। इसके बाद अगली मीटिंग में सगाई की जाती है, इस रिवाज को 'पक्की मिश्री' कहते हैं।
इसके बाद घर पर 'देव बिठाना' रस्म की जाती है। यह दरअसल पूजा पाठ के प्रारंभ की रस्म होती है। शादी से ठीक एक दिन पहले लड़का और लड़की दोनों के यहां 'वनवास' रस्म की जाती है। इसमें परिवार की सुहागन महिलाएं लड़का/लड़की के सिर पर तेल डालती हैं। इसके अलावा मेहंदी, घड़ी पूजा, नवग्रह पूजा जैसे रिवाज भी निभाए जाते हैं।
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शादी के दिन के रिवाज
शादी के दिन ही वर-वधु को हल्दी लगाई जाती है। इसदिन सुबह घर में पूजा भी की जाती है। मुहूर्त के अनुसार लड़के के यहां से बरात निकाली जाती है और पूरी रिवाज सहित बरात का लड़की वालों की ओर से स्वागत किया जाता है।
स्वागत के दौरान लड़की वालों की ओर से कोई एक स्त्री अपनी साड़ी के पल्लू से लड़के की लबाई-चौढ़ाई को मापती है, उसका नाक खींचती है। इसके बाद लड़का दरवाजे पर लगे एक लैंप को अपनी तलवार से तोड़ता है और वेन्यू में दाखिल होता है। हिन्दू शादी की तरह ही कन्यादान, फेरे आदि रिवाज होते हैं।
शादी के बाद के रिवाज
सप्तपदी- फेरे पूरे होते ही वधु द्वारा एक खास रस्म अदा की जाती है, जिसे सप्तपदी कहते हैं। इस रस्म में चावल से सात टीले बनाए जाते हैं। जिसे वधु को सावधानीपूर्वक लांघना होता है। ये सात टीले रिश्ते के उतार-चढ़ाव को दर्शाने वाले होते हैं।
छोटी छोटी रस्मों के बाद लड़की की विदाई की जाती है। इसके बाद 'दातार' रास्त के अंतर्गत नई बहू का घर में स्वागत होता है। उसके पांव धोए जाते हैं। इसके बाद वधु अपने हाथ से वर के हाथ पर नमक रखती है और लड़का उसी नमक को वापस उसके हाथ पर डालता है। इसे 'साल्ट शगुन' रस्म कहा जाता है। बहू के घर आने के बाद भी एक खास पूजा की जाती है।