Parenting Tips: 5 तरीके जो संवारे आपके बच्चे का भविष्य
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 25, 2018 10:40 AM2018-08-25T10:40:42+5:302018-08-25T10:40:42+5:30
गैजेट्स का अधिक उपयोग करने से बच्चों का अपने परिवेश से संपर्क कट जाता है। मस्तिष्क में तनाव का स्तर बढ़ने लगता है, जिस से व्यवहार थोड़ा आक्रामक हो जाता है।
एकल परिवारों में रहने वाले 5 साल तक की उम्र के बच्चे आमतौर पर मां-बाप या दादा-दादी से ही चिपके रहते हैं। इस उम्र से ही उन्हें चिपकू बने रहने के बजाय सामाजिक रूप से ऐक्टिव रहना सिखाना चाहिए।
1. अपने बच्चों से बातें करें
उस समय से जब आप का बच्चा काफी छोटा हो, उसे उस के नाम से संबोधित करें, उस से बातें करते रहें। उस के आसपास की हर चीज के बारे में उसे बताते रहें। वह किसी खिलौने से खेल रहा है, तो खिलौने का नाम पूछें। खिलौना किस रंग का है, इस में क्या खूबी है जैसी बातें पूछते रहें। नए नए ढंग से खेलना सिखाएं। इस से बच्चा एकांत में खेलने की आदत से बाहर निकल पाएगा।
2. बच्चे को दोस्तों, पड़ोसियों से मिलवाएं
हर रविवार कोशिश करें कि बच्चा किसी नए रिश्तेदार या पड़ोसी से मिले। पार्टी वगैरह में छोटा बच्चा एकसाथ बहुत से नए लोगों को देख कर घबरा जाता है। पर जब आप अपने खास लोगों और उन के बच्चों से उसे समय समय मिलवाते रहेंगे तो बच्चा जैसेजैसे बड़ा होगा, इन रिश्तों में अधिक से अधिक घुलमिल कर रहना सीख जाएगा।
3. दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने और खेलने दें
अपने बच्चे की अपने आसपास या स्कूल के दूसरे बच्चों के साथ घुलनेमिलने में मदद करें ताकि वह सहयोग के साथसाथ साङोदारी की शक्ति को भी समझ सके। जब बच्चे खेलते हैं, तो एकदूसरे से बात करते हैं। आपस में घुलते-मिलते हैं। इस से सहयोग की भावना और आत्मीयता बढ़ती है। उनका दृष्टिकोण विकसित होता है और वे दूसरों की समस्याओं को समझते हैं, दूसरे बच्चों के साथ घुलमिल कर वे जीवन के गुर सीखते हैं, जो उन के साथ उम्र भर रहते हैं।
4. परवरिश में बदलाव लाते रहें
बच्चों की हर जरूरत के समय उन के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से उपलब्ध रहें, लेकिन उन्हें थोड़ा स्पेस भी दें। हमेशा उन के साथ साए की तरह न रहें। बच्चे जैसेजैसे बड़े होते हैं वैसे-वैसे उनके व्यवहार में बदलाव आता है। आप 3 साल के बच्चे और 13 साल के बच्चे के साथ एक समान व्यवहार नहीं कर सकते। जैसे जैसे बच्चों के व्यवहार में बदलाव आए उस के अनुरूप उन के साथ अपने संबंधों में बदलाव लाएं।
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5. गैजेट्स के साथ कम समय बिताने दें
गैजेट्स का अधिक उपयोग करने से बच्चों का अपने परिवेश से संपर्क कट जाता है। मस्तिष्क में तनाव का स्तर बढ़ने लगता है, जिस से व्यवहार थोड़ा आक्रामक हो जाता है। इस से सामाजिक, भावनात्मक और ध्यानकेंद्रन की समस्या हो जाती है। स्क्रीन को लगातार देखने से इंटरनल क्लौक गड़बड़ा जाती है। बच्चों को गैजेट्स का उपयोग कम करने दें, क्योंकि इन के साथ अधिक समय बिताने से उन्हें खुद से जुड़ने और दूसरों से संबंध बनाने में समस्या पैदा हो सकती है। एक दिन में 2 घंटे से अधिक टीवी न देखने दें।