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International Women's Day: छुट्टी से लेकर सैलरी तक, हर वर्किंग वुमेन को पता होने चाहिए ये 5 वर्कप्लेस Rights

By मेघना वर्मा | Updated: March 1, 2020 07:34 IST

आज की महिलाएं ना सिर्फ घर के काम संभाल रही हैं बल्कि ऑफिस में भी अपना सौ प्रतिशत देती हैं। हर फेज में उन्हें कुछ ना कुछ परेशानियां झेलनी ही पड़ती है।

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ठळक मुद्देकई बार ऐसा भी देखा गया है कि समान जिम्मेदारी करने वाली महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग वेतन मिलता है।मां बनना किसी भी औरत के लिए सबसे खास एहसास होता है।

हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस साल भी लोगों ने महिला दिवस को मनाने की तैयारियां शुरू कर दी होंगी। किसी ने इस साल स्पेशल तरीके से वुमेन्स डे सेलिब्रेट करने की तैयारी की होगी तो किसी ने कुछ स्पेशल बनाने की। देश में बहुत सारी जगहों पर इस दिन कामकाजी महिलाओं को स्पेशल ट्रीटमेंट दी जाती है। 

आज की महिलाएं ना सिर्फ घर के काम संभाल रही हैं बल्कि ऑफिस में भी अपना सौ प्रतिशत देती हैं। हर फेज में उन्हें कुछ ना कुछ परेशानियां झेलनी ही पड़ती है। खासकर ऑफिस के माहौल में इस चीज को ज्यादा नोटिस किया जाता है। ऑफिस में ही ज्यादातर हैरेसमेंट के केसेस सुनाई देते हैं। आज की महिलाएं अपने पैशन में इस कदर गुम हो जाती हैं कि ऑफिस में मिलने वाले अपने हक को भी वो भूल जाती हैं। 

इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आइए आपको बताते हैं महिलाओं के वो हक जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए। ताकि आप सही समय पर और सही तरीके से अपनी आवाज को उठा सकें। साथ ही किसी दूसरी औरत के साथ अगर ऐसा कुछ भी हो रहा हो तो उसके लिए भी आवाज उठा सकें।

1. सेक्सुअल हैरेस्मेंट के खिलाव आवाज

साल 2013 में महिलाओं के साथ वर्कप्लेस पर होने वाले सैक्सुअल हैरेस्मेंट के खिलाफ वुमेन एट वर्कप्लेस एक्ट को लाया गया था। इस अधिनियम के तहत, प्रत्येक कंपनी के पास अब एक ऐसी यूनिट होती है जो किसी महिला के सेक्स हैरेसमेंट के शिकायत को ना सिर्फ सुनती है बल्कि जांच भी करती है।

इस अधिनियम से प्रत्येक महिला को एक सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान होता है। किसी भी यौन दुराचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के बारे में दिशा-निर्देश प्रदान करता है। अधिनियम में यौन उत्पीड़न पर कार्यशालाओं और जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजन के प्रावधान भी हैं।

2. मटरनिटी फायदे

मां बनना किसी भी औरत के लिए सबसे खास एहसास होता है। ये जितना खास होता है उतना दर्दनाक भी। इसी वजह से साल 1961 में बनें मटरनिटी बेनिफिट्स एक्ट के तहत आपको ये पता होना चाहिए कि प्रत्येक कंपनी अपने इम्पलॉई को ये सुविधा देती है। जिसमें 26 हफ्तों की पेड लीव होती है। प्रेगनेन्सी के समय किसी भी तरह की बीमारी या एमर्जंसी के लिए एक महीने की पेड लीव होती है। 

3. फैक्ट्री वर्कप्लेस

क्या आप किसी कारखाने में काम करती हैं जहां की स्थिति खराब है, जहां ना तो कोई मेडिकल की व्यवस्था है और ना ही सुरक्षा की। तब आपके नियोक्ता को दंडित किया जा सकता है। टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार उचित कार्य स्थितियों में स्वास्थ्य, सुरक्षा, कल्याण, उचित कार्य समय, अवकाश और अन्य लाभ सुनिश्चित होना चाहिए। अगर महिलाओं की शिफ्ट टाइमिंग में कोई बदलाव होता है तो महिला कर्मचारियों को 24 घंटे का नोटिस मिलना चाहिए। यदि कोई कारखाना 30 से अधिक महिला श्रमिकों को काम पर रखता है, तो उसे छह साल या उससे कम उम्र के बच्चों के लिए क्रेच रखना होगा।

4. एक समान वेतन का हक

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि समान जिम्मेदारी करने वाली महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग वेतन मिलता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 के तहत समान पारिश्रमिक अधिनियम आपको समान वेतन का दावा करता है। नियोक्ता को पुरुष और महिला कर्मचारियों को समान पद के लिए समान रूप से भुगतान करना होगा। 

5. नाइट शिफ्ट के नियम

अगर आप रात की शिप्ट में काम करती हैं तो आपके एम्प्लॉई को आपके लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना चाहिए। महिला कर्मचारियों की सुरक्षा, एम्पलॉयर की जिम्मेदारी है। यदि आपको निर्धारित सीमा से अधिक काम करने की आवश्यकता है, तो आपके नियोक्ताओं को अनुमोदन के लिए आवेदन करना होगा। रात की शिफ्ट में सुरक्षा और सहूलियत प्रदान करने की जरूरत है।

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