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महिला दिवसः नौकरी के लिए सभी पढ़ाई कर बाहर चले गए तो गांव का विकास कौन करेगा?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 8, 2021 13:53 IST

महिला दिन विशेषः गढ़चिरोली जिले के अति दुर्गम आदिवासी गांव कोठी की युवा सरपंच भाग्यश्री मनोहर लेखामी (22) ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर यह विचार व्यक्त किए.

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ठळक मुद्देआदिवासी बहुल गांव कोठी की सरपंच के रूप में भाग्यश्री को मार्च 2019 में निर्विरोध चुना गया था. कोठी ग्राम पंचायत के तहत 7 से 8 गांव आते हैं, जिनमें से मरकनार भाग्यश्री का मूल गांव है.भाग्यश्री ने जब गढ़चिरोली में शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था.

रमेश मारगोनवार

भामरागढ़ः पढ़-लिखकर नौकरी के लिए गांव छोड़कर चले जाते हैं. सभी ऐसा करने लगे, तो गांव के विकास की ओर कौन ध्यान देगा? बचपन से मेरा जुड़ाव गांव से रहा है.

यही वजह है कि मैंने फैसला किया कि उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद भी मैं गांव में रहकर ही इसके विकास का मार्ग प्रशस्त करूंगी. गढ़चिरोली जिले के अति दुर्गम आदिवासी गांव कोठी की युवा सरपंच भाग्यश्री मनोहर लेखामी (22) ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर यह विचार व्यक्त किए.

जिला मुख्यालय से 250 किलोमीटर तथा भामरागढ़ तहसील मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर छोटेसे आदिवासी बहुल गांव कोठी की सरपंच के रूप में भाग्यश्री को मार्च 2019 में निर्विरोध चुना गया था. कोठी ग्राम पंचायत के तहत 7 से 8 गांव आते हैं, जिनमें से मरकनार भाग्यश्री का मूल गांव है.

भाग्यश्री ने जब गढ़चिरोली में शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था. उसी वर्ष कोठी ग्राम पंचायत के चुनाव हुए. इसी दौरान ग्रामसभा ने फैसला किया कि इस मर्तबा सरपंच मरकनार गांव से चुना जाएगा. इसकी खोज शुरू हुई कि गांव में पढ़े-लिखे और राजनीति की समझ रखने वाले युवा कौन है. जिसके बाद भाग्यश्री का नाम सामने आया और उनका इस पद के लिए निर्विरोध चयन किया गया. जिस गांव में पहुंचने के लिए ढंग का रास्ता भी नहीं, ऐसे दुर्गम गांव की कमान युवा भाग्यश्री के हाथों में दी गई.

वे कहती हैं, ''इस अवसर का लाभ उठाकर गांव को समृद्ध बनाने के लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं.'' जंगल के रास्तों पर बाइक से अकेले सफर गांव के जिला परिषद स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत पिता और आंगनवाड़ी सेविका मां के प्रोत्साहन के चलते भाग्यश्री की सामाजिक क्षेत्र में रुचि और आत्मविश्वास बढ़ता गया.

चाहे अपने गांव मरकणार से कोठी जाना हो, या फिर मीटिंग के लिए भामरागढ़ जाना हो, भाग्यश्री बाइक पर जंगल की इन राहों पर बेधड़क सफर करती हैं. गांव की परंपराओं पर आंच नहीं आने देते हुए गांव को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए उनके प्रयास जारी हैं.

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