2017 चुनाव में भाजपा ने काट दिया गया था टिकट, जानें तीरथ सिंह रावत के बारे में...
By सतीश कुमार सिंह | Published: March 10, 2021 04:51 PM2021-03-10T16:51:43+5:302021-03-10T18:13:08+5:30
दिग्गज भाजपा नेता भुवन चंद्र खंडूरी के राजनीतिक शिष्य के रूप में प्रसिद्ध तीरथ सिंह रावत अपनी साफ-सुथरी छवि, सहज व्यक्तित्व, विनम्रता के लिए जाने जाते हैं।
देहरादूनः उत्तराखंड की सियासत की चाभी अब त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों से खिसक के तीरथ रावत के हाथों में चली गई है। तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री होंगे।
दिलचस्प बात यह है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीरथ रावत का टिकट काट दिया था। भाजपा ने कांग्रेस से आए सतपाल महाराज के लिए तीरथ सिंह रावत का टिकट काटा था। पार्टी के इस फैसले को तीरथ रावत ने तब खुशी-खुशी स्वीकार किया था और अपनी ही सीट से सतपाल महाराज को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए
यही कारण है कि तीरथ रावत का भगवा प्रेम जाया नहीं गया, भाजपा ने उन्हें पहले लोकसभा का टिकट दिया और अब सीएम की कुर्सी ही सौंप दी। आइये जानते हैं तीरथ रावत के पार्टी कार्यकर्ता से सीएम की कुर्सी तक पहुंचने के संघर्ष के बारे में। तीरथ सिंह रावत संघ की पृष्ठभूमि से भाजपा की राजनीति में आने वाले नेता हैं। छात्र जीवन के शुरुआती दौर में ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए।
संघ से जुड़े दायित्व निभाते हुए वह भाजपा की मुख्यधारा की राजनीति में आए। 1997 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने। वह राज्य के मंत्री भी रह चुके हैं। साल 2012 में चौबटाखाल विधानसभा सीट से चुनाव जीते। साल 2013 से 31 दिसंबर 2015 तक वह उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके हैं।
तीरथ को 2013 में भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली
पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गढ़वाल सीट से उतारा था और उन्होंने करीब तीन लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी और प्रत्याशी के रुप में भाजपा को शत-प्रतिशत परिणाम दिए। तीरथ को 2013 में भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली।
2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में गईं। लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने तीरथ को गढ़वाल सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के साथ ही हिमाचल प्रदेश के प्रभारी का दायित्व भी सौंपा। उन्होंने अपनी जीत के साथ हिमाचल प्रदेश की चारों सीटें जिताकर पार्टी में खुद के कद को और मजबूत किया।
नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का शुक्रिया अदा किया
उत्तराखंड की कमान मिलने के बाद तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत को बड़ा भाई बताते हुए कहा कि मेरा पूरा फोकस लोगों के भरोसे पर खरा उतरने पर रहेगा। इसके लिए मुझे सबका सहयोग चाहिए।
त्रिवेंद्र सिंह जी ने बहुत काम किया है। कभी सोचा भी नहीं था कि प्रदेश का मुख्यमंत्री बनूंगा। जो दायित्व मिला है उसे निभाउंगा। मैं छोटे से गांव से आता हूं। सभी को धन्यवाद दूंगा, मोदी जी के मंत्र सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास को लेकर चलेंगे। काम करने के लिए 10 दिन क्या दो दिन भी बहुत होते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत गर्वनर से मिलने निकल गए।
Dehradun: Tirath Singh Rawat takes oath as Chief Minister of Uttarakhand pic.twitter.com/Y9U7ZAQiHl
— ANI (@ANI) March 10, 2021
तीरथ सिंह 1983 से 1988 तक संघ प्रचारक रहे
नौ अप्रैल 1964 को पौड़ी जिले के सीरों गांव में जन्मे तीरथ सिंह 1983 से 1988 तक संघ प्रचारक रहे। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री का पद भी बखूबी संभाला।
तीरथ सिंह हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद 1997 में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य भी निर्वाचित हुए। वर्ष 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद बनी राज्य की अंतरिम सरकार में वह प्रदेश के प्रथम शिक्षा मंत्री बनाए गए।
एक नजर तीरथ सिंह रावत पर
पिता का नाम: कमल सिंह रावत
जन्मतिथि: नौ अप्रैल 1964
निवासी: ग्राम सीरों, पट्टी असवालस्यूं, पौड़ी गढ़वाल।
शिक्षा: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में परास्नातक।