नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। दिनेश त्रिवेदी ने इस्तीफा देने की घोषणा की। अप्रैल-मई 2021 में विधानसभा चुनाव है। कई बड़े नेता टीएमसी छोड़ रहे हैं।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस नेता दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा में सदन की सदस्यता से इस्तीफे की पेशकश की। आसन ने उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन करने को कहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी राज्यसभा में बजट पर बोल रहे थे। वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के नेता और पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने ‘‘पश्चिम बंगाल में हिंसा’’ और ‘‘घुटन’’ का हवाला देते हुए शुक्रवार को राज्यसभा में अपनी सदस्यता से त्यागपत्र देने की घोषणा की, हालांकि आसन की तरफ से उनकी इस पेशकश को यह कहकर अस्वीकार कर दिया गया कि इसके लिए उन्हें समुचित तरीका अपना पड़ेगा।
बैठे-बैठे बहुत अजीब लग रहा हैः इस्तीफे का ऐलान करते हुए दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि जिस प्रकार से हिंसा हो रही है, मुझे यहां बैठे-बैठे बहुत अजीब लग रहा है। मुझसे ये देखा नहीं जा रहा है, हम करें तो क्या करें, हम एक जगह तक सीमित है। पार्टी के भी कुछ नियम होते हैं, इसलिए मुझे भी घुटन महसूस हो रही है।
टीएससी छोड़ देंगेः दिनेश त्रिवेदी कई बार कह चुके हैं कि वह टीएससी छोड़ देंगे। 2019 में वह लोकसभा चुनाव हार गए थे। बंगाल चुनाव में भाजपा और टीएमसी में मुकाबला होने की उम्मीद है। अभी तक 10-15 बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।
पक्ष बड़ा है या खुद मैं बड़ा हूं
उच्च सदन में बजट चर्चा के दौरान आसन की अनुमति से त्रिवेदी ने कहा, ‘‘हर मनुष्य के जीवन में एक ऐसी घड़ी आती है जब उसे अंतरात्मा की आवाज सुनाई देती है। मेरे जीवन में भी यह घड़ी आ गयी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां बैठकर सोच रहा था कि हम राजनीति में क्यों आते हैं? देश के लिए आते हैं..देश सर्वोपरि होता है।’’
त्रिवेदी ने कहा कि जब वह रेल मंत्री थे तब भी उनके जीवन में ऐसी घड़ी आयी थी जिसमें यह तय करना पड़ा था कि ‘‘देश बड़ा है, पक्ष बड़ा है या खुद मैं बड़ा हूं।’’ तृणमूल सदस्य ने कहा, ‘‘जिस प्रकार से हिंसा हो रही है, हमारे प्रांत में...मुझे यहां बैठे-बैठे लग रहा है कि मैं करूं क्या? हम उस देश (राज्य) से आते हैं जहां से रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, खुदीराम आते हैं।’’
मैं अपनी पार्टी का आभारी हूं
उन्होंने उच्च सदन में इसी सप्ताह नेता प्रतिपक्ष के विदाई भाषण के दौरान आजाद और उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावुक हो जाने के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘असल में हम जन्मभूमि के लिए ही हैं और कुछ नहीं। मुझसे देखा नहीं जा रहा कि मैं करूं तो क्या करूं। एक पार्टी से बंधा हूं। मैं अपनी पार्टी का आभारी हूं कि उसने मुझे यहां (राज्यसभा में) भेजा।’’ त्रिवेदी ने कहा, ‘‘मगर अब मुझे घुटन हो रही है।
उधर अत्याचार हो रहे हैं... मुझे मेरी अंतरात्मा की आवाज यह कह रही है कि यदि आप यहां बैठकर चुपचाप रहो... इसके बजाय यहां से त्यागपत्र देकर बंगाल चले जाओ और लोगों के साथ काम करो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज यहां से त्यागपत्र दे रहा हूं तथा देश एवं बंगाल के लिए जिस प्रकार काम करता रहा हूं, आगे भी करता रहूंगा।’’
इस पर उपसभापति हरिवंश ने त्रिवेदी से कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते हैं क्योंकि ऐसा करने के लिए उन्हें एक समुचित प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। उन्हें इस बारे में सभापति से बात करनी चाहिए। त्रिवेदी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में तीन अप्रैल 2020 को उच्च सदन के सदस्य बने थे और उनका वर्तमान कार्यकाल दो अप्रैल 2026 तक है। संप्रग शासनकाल में त्रिवेदी रेलमंत्री थे और उन्होंने 2012 में रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
टीएमसी विधायक ने ममता को पत्र लिख चुनाव लड़ने में असमर्थता जताई
पश्चिम बंगाल में बर्धमान सीट से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 79 वर्षीय विधायक डी. रबीरंजन चट्टोपाध्याय ने कहा था कि वह अपनी उम्र और सेहत संबंधी मसलों की वजह से आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
चट्टोपाध्याय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर अपने फैसले की जानकारी दी और लगातार दो कार्यकाल के लिए सेवा करने का मौका देने के वास्ते उनका आभार जताया। वरिष्ठ नेता तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं। बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं।
ममता बनर्जी ने भाजपा पर किया था हमला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा को अपना यह आरोप साबित करने की चुनौती दी कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र द्वारा राज्य को भेजे गए धन का दुरुपयोग किया है। बनर्जी ने कहा कि भाजपा द्वारा यह साबित नहीं कर पाने पर नरेंद्र मोदी सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने कोलकाता में गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज संगठनों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दावा किया कि भाजपा नेता अमित शाह द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा से अहंकार की बू आ रही है और यह एक केंद्रीय गृह मंत्री को शोभा नहीं देता।