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राम मंदिर भूमि पूजनः शिवसेना ने कहा-जो लोग ‘कार सेवकों’ की कुर्बानी को भूल गए, वे ‘राम द्रोही’ हैं

By भाषा | Published: August 05, 2020 2:58 PM

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था और केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को शहर के ‘प्रमुख स्थान’ पर नए मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन मुहैया कराएं।

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ठळक मुद्देऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया। ‘सामना’ में कहा गया कि बाबरी मस्जिद को गिराने में अहम भूमिका निभाने वाली शिवसेना को भी आमंत्रित नहीं किया गया। ‘सामना’ में दावा किया गया है कि यह कार्यक्रम ‘‘व्यक्ति केंद्रित और राजनीतिक पार्टी केंद्रित’’ है।

मुंबईः शिवसेना ने बुधवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के समय जो लोग ‘कार सेवकों’ की कुर्बानी को भूल गए, वे ‘राम द्रोही’ हैं।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा गया है कि यह ‘भूमि पूजन’ पूरे देश और हिंदुओं का कार्यक्रम है लेकिन यह कैसा हठी फैसला है कि किसी को इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए? ‘सामना’ में दावा किया गया है कि यह कार्यक्रम ‘‘व्यक्ति केंद्रित और राजनीतिक पार्टी केंद्रित’’ है।

उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा, ‘‘जहां राम मंदिर का निर्माण होगा, वहां की मिट्टी में ‘कार सेवकों’ की कुर्बानी की गंध है। जो यह बात भूल गए हैं, वे राम द्रोही हैं।’’ अयोध्या में दिसंबर, 1992 में मस्जिद को ‘कार सेवकों’ ने गिरा दिया था। कार सेवकों का दावा था कि प्राचीन राम मंदिर इसी स्थल पर था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था और केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को शहर के ‘प्रमुख स्थान’ पर नए मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन मुहैया कराएं।

शिवसेना ने दु:ख व्यक्त किया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया। ‘सामना’ में कहा गया कि बाबरी मस्जिद को गिराने में अहम भूमिका निभाने वाली शिवसेना को भी आमंत्रित नहीं किया गया।

शिवसेना ने कहा, ‘‘यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि मोदी के शासनकाल में इस मामले का कानूनी समाधान निकला। अन्यथा, गोगोई को सेवानिवृत्ति के बाद राज्य सभा का सदस्य नहीं बनाया गया होता।’’ पार्टी ने कहा कि बाबरी कार्य समिति के इकबाल अंसारी को कार्यक्रम का न्योता मिला।

‘सामना’ में कहा गया कि अंसारी ने इस लड़ाई को 30 साल तक खींचा, जबकि ‘‘गोगोई ने भगवान राम को कानूनी पेंच से बाहर निकाला’’। इसमें कहा गया कि विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, शिवसेना और आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने राम मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान लाठियां और गोलियां खाईं और कइयों ने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी।

शिवसेना ने कहा कि ‘भूमि पूजन’ के साथ ही बुधवार को राम मंदिर का मुद्दा सभी के लिए समाप्त हो जाना चाहिए। सामना में कहा गया कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वाम पंथी पार्टियों की भावनाओं पर विचार किया जाना चाहिए। सामना में कहा गया कि भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने राम मंदिर निर्माण का श्रेय दिवंगत कांग्रेस नेताओं पी वी नरसिम्हा राव और राजीव गांधी को दिया है। 

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