वसुंधरा राजे की चुप्पी-सीएम गहलोत की चुनौती, सचिन पायलट-बीजेपी का सियासी खेल बिगाड़ा

By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 18, 2020 03:01 PM2020-07-18T15:01:14+5:302020-07-18T15:01:14+5:30

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत और राजस्थान के ही पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी से सीखा जा सकता है! राजस्थान की राजनीति में आज भी उनका प्रत्यक्ष सियासी विरोध और अप्रत्यक्ष राजनीतिक दोस्ती के कहे-अनकहे किस्से अक्सर चर्चाओं में रहते हैं.

Rajasthan jaipur CM Ashok Gehlot congress bjp sachin pilot vasundhara raje | वसुंधरा राजे की चुप्पी-सीएम गहलोत की चुनौती, सचिन पायलट-बीजेपी का सियासी खेल बिगाड़ा

राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी स्थाई नहीं होती है, लेकिन अलग-अलग दलों में रहने के बावजूद राजनीतिक दोस्ती कैसे निभाई जा सकती है? (file photo)

Highlightsजोशी और शेखावत ने डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक राजस्थान की सियासत में दबदबा कायम रखा.जोशी और शेखावत अपनी चुनावी सभाओं में एक-दूजे पर तीखे सियासी हमले करते और खुले मंच पर बहस की चुनौती भी देते.वसुंधरा राजे की चुप्पी और सीएम गहलोत की चुनौती ने सचिन पायलट और बीजेपी का सियासी खेल ही बिगाड़ दिया है.

जयपुरः राजस्थान के सियासी संग्राम के बीच इन दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के राजनीतिक रिश्ते खासे चर्चा में हैं.

इस दौरान वसुंधरा राजे की चुप्पी और सीएम गहलोत की चुनौती ने सचिन पायलट और बीजेपी का सियासी खेल ही बिगाड़ दिया है. कहा जाता है कि राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी स्थाई नहीं होती है, लेकिन अलग-अलग दलों में रहने के बावजूद राजनीतिक दोस्ती कैसे निभाई जा सकती है?

यह राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत और राजस्थान के ही पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी से सीखा जा सकता है! राजस्थान की राजनीति में आज भी उनका प्रत्यक्ष सियासी विरोध और अप्रत्यक्ष राजनीतिक दोस्ती के कहे-अनकहे किस्से अक्सर चर्चाओं में रहते हैं.

सियासी जानकारों का मानना है कि यह राजनीतिक तालमेल ही था जिसके कारण जोशी और शेखावत ने डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक राजस्थान की सियासत में दबदबा कायम रखा. जोशी और शेखावत अपनी चुनावी सभाओं में एक-दूजे पर तीखे सियासी हमले करते और खुले मंच पर बहस की चुनौती भी देते, लेकिन कभी ऐसा मौका नहीं आया कि जनता को उनकी खुली बहस देखने का अवसर मिल पाता.

अंतिम विधानसभा चुनाव में हरिदेव जोशी बांसवाड़ा से चुनाव लड़ रहे थे

अस्सी के दशक के अंतिम विधानसभा चुनाव में हरिदेव जोशी बांसवाड़ा से चुनाव लड़ रहे थे. बोफोर्स की आंधी में कांग्रेस की संभावनाएं कमजोर पड़ती जा रही थी. जोशी के सामने एक बार फिर 1977 जैसी चुनौती थी, क्योंकि विपक्ष में गठबंधन हो चुका था, लेकिन आश्चर्य! एकमात्र बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर समझौता नहीं हुआ.

जनता दल का कहना था कि यह उनकी परंपरागत सीट हैं, इसलिए वे ही चुनाव लड़ेंगे तो उधर भैरोसिंह शेखावत का माही गेस्ट हाउस में प्रेस से कहना था कि- बांसवाड़ा सीट पर भाजपा मजबूत है, इसलिए इस सीट को छोड़ नहीं सकते हैं! इसका परिणाम यह रहा कि त्रिकोणात्मक संघर्ष में हरिदेव जोशी आसानी से चुनाव जीत गए!

जोशी राजस्थान के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो पहली विस से लेकर आजीवन एमएलए रहे

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी राजस्थान के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो पहली विस से लेकर आजीवन एमएलए रहे. वे आपातकाल के बाद चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के भी एकमात्र पूर्व मुख्यमंत्री थे.
तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत को पहली बार ऐसी बगावत का सामना करना पड़ा है, जब सचिन पायलट बागी बन गए हैं.

इधर, कांग्रेस में प्रत्यक्ष तौर पर बहुमत जुटा कर और पायलट पर आरोप लगा, चुनौती दे कर, जहां सीएम गहलोत ने पायलट की कांग्रेस से विदाई की भूमिका तैयार कर दी है, तो उधर, वसुंधरा राजे ने सारे प्रकरण पर चुप्पी साध कर सचिन पायलट के बीजेपी में भव्य प्रवेश की संभावनाओं पर ही पानी फेर दिया है.

यही वजह है कि सियासी सयानों को राजस्थान में जोशी-शेखावत की राजनीतिक दोस्ती का समय याद आ गया है. याद रहे, राजनीति के कई बार जैसा दिखता है, वैसा होता नहीं है और जैसा होता है, वैसा दिखता नहीं है!

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