नई दिल्लीः कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर एक बार फिर हमला बोलते हुए सीधा आरोप लगाया कि उन्होंने कोरोना के नाम पर जो फैसले लिए वह असंघटित क्षेत्र पर उनका तीसरा हमला था। बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक लॉकडाउन की घोषणा इसका जीता जागता उदाहरण है।
रोज़ कमाने खाने वाले एक ही रात में सड़कों पर आ गए। उद्योग धंधे चौपट हो गए, मोदी ने झूठ बोला कि कोरोना की लड़ाई 21 दिन की है, लेकिन उनके यह 21 दिन असंघटित क्षेत्र पर न केवल भारी पड़े बल्कि उसने उसकी रीढ़ ही तोड़ दी।
21 दिन कब के पूरे हो गए लेकिन कोरोना का कहर आज भी जारी है। कांग्रेस बार-बार प्रधानमंत्री को समझाती रही कि वह लोगों को सीधे पैसा दे कर उनकी मदद करें, उनके बैंक अकाउंट में पैसा भेजें लेकिन मोदी अपनी हट के कारण इन सुझावों की अनदेखी करते रहे।
छोटे और मझोले उद्योगों की कहने के बावजूद न तो मदद की गयी और ना ही उनकी मदद के लिए कोई योजना लायी गयी। इसके पलट चुनिंदा 15 अमीर लोगों के टैक्स माफ़ कर दिए। देश की आर्थिक रीढ़ पूरी तरह टूट चुकी है, युवा बेरोज़गार है, क्योंकि सरकार ने ऐसे हालात पैदा किये जिसने रोज़गार को छीन लिया। यह सीधा सीधा उन युवाओं के भविष्य पर हमला था। राहुल ने लोगों का आवाहन किया कि वे इस हमले के खिलाफ अपनी आवाज़ को बुलंद करें और उठ खड़े हों।
उन्होंने दावा किया , ‘प्रधानमंत्री जी ने कहा 21 दिन की लड़ाई होगी। असंगठित क्षेत्र के रीढ़ की हड्डी 21 दिन में ही टूट गई।’ उनके मुताबिक, जब लॉकडाउन के खुलने का समय आया, तो कांग्रेस पार्टी ने एक बार नहीं अनेक बार सरकार से कहा कि गरीबों की मदद करनी ही पड़ेगी, ‘ न्याय’ योजना जैसी एक योजना लागू करनी पड़ेगी, बैंक खातों में सीधा पैसा डालना पड़ेगा। लेकिन सरकार ने यह नहीं किया।
राहुल ने दावा किया कि लॉकडाउन कोरोना पर आक्रमण नहीं था, बल्कि यह हिंदुस्तान के गरीबों, युवाओं के भविष्य, मजदूर किसान और छोटे व्यापारियों तथा असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था। उन्होंने कहा , ‘‘हमें इस बात को समझना होगा और इस आक्रमण के खिलाफ हम सबको खड़ा होना होगा।’’