मध्यप्रदेश चुनाव: कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है ये सीट, क्या बीजेपी इस बार कर पाएगी कब्जा

By पल्लवी कुमारी | Updated: September 27, 2018 07:18 IST2018-09-27T07:18:59+5:302018-09-27T07:18:59+5:30

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव: राज्य में 230 विधानसभा सीटों पर प्रमुख मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) में हैं। इसके अलावा यहां बसपा और सपा भी कतार में है।

Madhya Pradesh election satna dis amarpatan seat congress mla Rajendra Kumar Singh | मध्यप्रदेश चुनाव: कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है ये सीट, क्या बीजेपी इस बार कर पाएगी कब्जा

मध्यप्रदेश चुनाव: कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है ये सीट, क्या बीजेपी इस बार कर पाएगी कब्जा

इंदौर, 26 सितंबर: साल (2018) के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में 230 विधानसभा सीटों पर प्रमुख मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) में हैं। इसके अलावा यहां बसपा और सपा भी कतार में है। यहां कांग्रेस ने पहला कदम उठाते हुए वरिष्ठ नेता कमल नाथ को चुनाव का प्रभारी बनाया है। मध्य प्रदेश में करीब 15 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए सतना जिले की अमरपाटन विधानसभा सीट पर वापसी कर पाना मुश्किल होने वाला है। ये सीट कांग्रेस की परम्परागत सीट मानी जाती है।

2008 में इस सीट पर आई थी बीजेपी

सतना जिले की अमरपाटन विधानसभा सीट पर कांग्रेस का काफी सालों से कब्जा है। अमरपाटन विधानसभा सीट से उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह विधायक हैं। अमरपाटन विधानसभा सीट से बीजेपी के रामखिलावन पटेल ने 2008 के विधानसभा चुनाव में जीते थे। उस वक्त उनके सामने कांग्रेस के राजेंद्र कुमार सिंह खड़े थे। कांग्रेस के राजेंद्र कुमार सिंह इस चुनाव में 47 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। बीजेपी को इसमें 34.4 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस को 30.5 प्रतिशत वोट मिले थे।

अमरपाटन सीट: ये है चुनौती

अमरपाटन विधान सभा सीट सतना लोकसभा के अंतर्गत आता है। जहां से तकरीबन 2.7 लाख वोटर हैं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक यहां पर ब्राह्मण-पटेल वोटर ज्यादा है। ये सीट यूं तो कांग्रेस का गढ़ है लेकिन यहां बीजेपी भी कई बार चुनाव जीत चुके हैं। इसलिए ये सीट पर बार काफी महत्वपूर्ण बन जाता है।

ये सीट कांग्रेस की है। आखिरी बार बीजेपी यहां 2008 में आई थी। इस साल भी यहां कड़ा मुकाबला हो सकता है। हालांकि बीजेपी को ज्यादा चुनौती कांग्रेस की गुटबाजी से मिल सकती है। जानदेश को देखते हुए इस कांग्रेस के लिए अपनी परम्परागत सीट बचाना अहम है।

उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह परिचय

उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह का जन्म अमरपाटन तहसील के जुडमनिया गांव की पैतृक प्रतापगढ़ी में 3 सितंबर 1950 को हुआ था। इनके पिता का नाम  शिवमोहन सिंह है। जो कि एक  पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी थे। जो विधायक भी थे। राजनीति की प्रेरणा उन्हें वहां से ही मिली थी।  इन्होंने मेकेनिकल इंजीनियर, ऑटो इंजीनियरिंग के साथ पीएचडी भी की है।

उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह 1980 में विधायक निर्वाचित हुए थे। उसके बाद 1993 में 10वीं विधानसभा के लिए निर्वाचित होकर दिग्विजय मंत्रिमंडल में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बने। 1996 में उन्हें  पर्यावरण विभाग सौंपा गया। 2003 और 2013 में विधायक बनाकर चौथी बार क्षेत्र की जनता ने विधानसभा भेजा। वे 10 जनवरी 2014 को विधान सभा का उपाध्यक्ष बनाए गए। कई ऐसे मौके आए जब भाजपा व जनसंघ के विधायक भी रहे हैं।

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