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जानिए क्यों बाबूलाल गौर को लोग कहते थे ‘बुलडोजर’ मंत्री, मजदूर नेता से मुख्यमंत्री तक का सफर

By भाषा | Published: August 21, 2019 7:50 PM

भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर हमेशा से सुर्खियों में रहे। भोपाल क्या पूरे मध्य प्रदेश में लोग उन्हें बुलडोजर मंत्री कहते थे। करियर की शुरुआत मजदूर नेता के रूप में की थी। फिर वह मप्र के मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हुए।

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ठळक मुद्देअप्रैल 2016 में वह भोपाल में एक कार्यक्रम में एक महिला को कथित तौर पर अनुचित ढंग से छूते हुए कैमरे में कैद हो गए थे।मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने पिछले महीने उन्हें उपचार के लिए हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंचाया था।

भाजपा नेता बाबूलाल गौर ने अपने करियर की शुरुआत एक मजदूर नेता के रूप में की थी। बाद में वह मध्य प्रदेश में पार्टी के कद्दावर नेता के रूप में उभरे और विभिन्न पदों पर रहते हुए मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे।

राज्य की राजधानी में अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई के चलते उनके नाम के साथ ‘बुलडोजर’ मंत्री शब्द जुड़ गया था। गौर का बुधवार सुबह लंबी बीमारी के बाद यहां निधन हो गया। वह 89 साल के थे। महिलाओं पर उनकी कथित टिप्पणियों के चलते कई बार विवाद भी खड़ा हुआ।

गौर ने अपनी लंबी राजनीतिक पारी में गोविन्दपुरा विधानसभा सीट का 10 बार प्रतिनिधित्व किया। गौर राज्य की भाजपानीत सरकारों में गृह, वाणिज्य, उद्योग, स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसम्पर्क, शहरी आवास तथा पुनर्वास, 'भोपाल गैस त्रासदी' राहत, सहित अन्य विभागों के भी मंत्री रहे।

ओबीसी नेता बाबूलाल गौर 2004 से 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व वाली सरकार में गौर 1990 के दशक के शुरू में नगर विकास मंत्री के तौर पर काफी चर्चित हुए थे। उन्होंने भोपाल के पुराने शहर में कांग्रेस के कड़े विरोध के बावजूद अतिक्रमण पर बुलडोजर चलवा दिए। इस कार्रवाई के बाद राज्य में लोग उन्हें ‘बुलडोजर’ मंत्री कहने लगे।

भाजपा ही नहीं, बल्कि दूसरे दलों के नेता भी उनका सम्मान करते थे। मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने पिछले महीने उन्हें उपचार के लिए हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंचाया था। हाल में कमलनाथ उन्हें देखने अस्पताल भी पहुंचे थे। वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें अधिक आयु की वजह से राज्य कैबिनेट से हटा दिया था।

गौर ने इसे अपने अपमान के रूप में लिया था। वह अकसर कहते थे कि उन्होंने चौहान के वास्ते मार्ग प्रशस्त करने के लिए पार्टी संरक्षक लालकृष्ण आडवाणी के कहने पर 2005 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। महिलाओं के संबंध में गौर की टिप्पणियों ने कई बार विवाद खड़ा किया।

अप्रैल 2016 में वह भोपाल में एक कार्यक्रम में एक महिला को कथित तौर पर अनुचित ढंग से छूते हुए कैमरे में कैद हो गए थे। इस घटना से संबंधित वीडियो क्लिप वायरल हो गया था। गौर उस समय राज्य के गृह मंत्री थे। गौर ने तब कहा था, ‘‘मैंने महिला कार्यकर्ताओं को बस में जल्द सवार होने का सिर्फ निर्देश दिया था क्योंकि यह उन्हीं के लिए थी।

क्लिप में जो दिखाया जा रहा है, वह सच नहीं है। मैं जो कह रहा हूं, वह सच है।’’ अप्रैल 2012 में गौर ने कहा था कि यौन शोषण के लिए महिलाओं का छोटे कपड़े पहनना जिम्मेदार है। जनवरी 2013 में उन्होंने कहा था, ‘‘विदेशों में महिलाएं जीन्स और टी शर्ट पहनती हैं, दूसरे मर्दों के साथ डांस करती हैं, यहां तक कि शराब पीती हैं, लेकिन वह उनकी संस्कृति है। यह उनके लिए अच्छी है, लेकिन भारत के लिए नहीं, जहां केवल हमारी परंपराएं और संस्कृति ही ठीक हैं।’’

जून 2015 में उन्होंने कहा था कि शराब पीना मौलिक अधिकार है। जनवरी 2014 में उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु में यौन हिंसा की घटनाएं अपेक्षाकृत कम होती हैं क्योंकि वहां महिलाएं ‘‘नियमित तौर पर मंदिर जाती हैं’’ और ‘‘पूरे कपड़े पहनती हैं।’’

गौर ने जून 2014 में कहा था कि बलात्कार ‘‘एक सामाजिक अपराध’’ है जो ‘‘कई बार पुरुष तो कई बार महिला पर निर्भर करता है।’’ उन्होंने कहा था कि सरकारों के लिए यह सुनिश्चित करना संभव नहीं है कि बलात्कार न हो। गौर ने यह भी कहा था कि जब तक व्यक्ति न चाहे तब तक उसे कोई छूने की हिम्मत नहीं कर सकता।

मई 2015 में गौर ने कहा था कि उन्होंने एक रूसी महिला से कहा था कि वह उसे सिखा सकते हैं कि धोती कैसे उतारी जाती है। यह महिला के उस सवाल के जवाब में था जिसमें उसने पूछा था कि वह बिना बेल्ट और जिपर के धोती कैसे पहन लेते हैं।

गौर ने कहा था, ‘‘मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हें यह तो नहीं सिखा सकता कि इसे कैसे पहनते हैं, लेकिन मैं तुम्हें यह जरूर सिखा सकता हूं कि इसे कैसे उतारते हैं। वर्ष 2016 में महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश के अधिकार के लिए महिला कार्यकर्ताओं के अभियान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था, ‘‘इसे छोड़िए...यदि वे (महिलाएं) घर पर ही पूजा करती हैं तो यही पर्याप्त होगा।’’

बाबूलाल गौर का जन्म दो जून 1930 को नौगीर ग्राम जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। हालांकि वह बचपन से ही भोपाल में रहे। उन्होंने बीए और एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की थी। गौर 1946 से 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के स्वयंसेवक रहे।

राजनीति में सक्रिय होने के पहले उन्होंने भोपाल की कपड़ा मिल में नौकरी भी की और श्रमिकों के हित में अनेक आंदोलनों में भाग लिया। इसके अलावा गौर ने राष्ट्रीय स्तर के अनेक राजनीतिक आंदोलनों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 

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