चाहे NRC हो NPR, यह गरीबों पर एक कर है, लोग पूछ रहे हैं हमें नौकरी कैसे मिलेगीः राहुल
By भाषा | Updated: December 27, 2019 14:33 IST2019-12-27T14:04:03+5:302019-12-27T14:33:19+5:30
राहुल गांधी ने कहा कि पहले दुनिया कहती थी कि भारत और चीन एक रफ्तार से विकास कर रहे हैं, लेकिन अब दुनिया भारत में हिंसा को देख रही है। सड़कों पर महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि आप पूरा का पूरा पैसा 10—15 लोगों के हवाले कर देंगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी ने एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीज़न) और एनपीआर (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर) को हिंदुस्तान की गरीब जनता पर लगाया गया टैक्स बताया है।
गांधी ने आज यहां हवाईअड्डे पर संवाददताओं से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, “चाहे एनआरसी हो या एनपीआर हो, यह हिंदुस्तान के गरीब लोगों पर एक टैक्स है।” उन्होंने कहा, “(जिस तरह) नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब लोगों पर एक टैक्स था। बैंक में जाइए, पैसा दीजिए, अपने एकाउंट से पैसा नहीं निकालिए और पूरा का पूरा पैसा 15 से 20 लोगों को दे दिया गया।
यह (एनआरसी, एनपीआर) भी बिल्कुल वही चीज है।” उन्होंने आरोप लगाया कि अब गरीबों को कागज बनवाने के नाम पर रिश्वत देनी पडेगी। उन्होंने इसे गरीबों पर हमला करार दिया। गांधी ने अर्थव्यवस्था और रोगजार की स्थित पर केंद्र सरकार को घेरा। कांग्रेस के नेता ने कहा, “आज पूरी दुनिया में कहा जा रहा है कि हिंदुस्तान में हिंसा हो रही है। महिलाओं को यहां सड़कों पर नहीं चलने दिया जा रहा है और बेरोजगारी 45 साल में सबसे ज्यादा है... लेकिन प्रधानमंत्री कुछ कर नहीं पा रहे हैं।”
राहुल गांधी आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का शुभारंभ करने पहुंचे थे। इस मौके पर आयोजित एक सभा में गांधी ने कहा, ‘‘सभी धर्मों, जातियों, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को साथ लिए बिना हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था नहीं चलाई जा सकती।’’
केन्द्र सरकार को इंगित करते हुए गांधी ने कहा, ‘‘जब तक आप इस देश को जोड़ेंगे नहीं, जब तक देश के लोगों की आवाज विधानसभाओं और लोकसभा में सुनाई नहीं देगी, तब तक नाहीं रोजगार और नाहीं अर्थव्यवस्था के बारे में कुछ किया जा सकेगा। क्योंकि अर्थव्यवस्था को किसान, मजदूर, गरीब, आदिवासी ही चलाते हैं।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि सबको साथ लिए बगैर हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था नहीं चलाई जा सकती।
गांधी आज यहां रायपुर के सांइस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का उद्घाटन करने के बाद वहां मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘सभी धर्मों, जाति, आदिवासी, दलित और पिछड़ों को साथ लिए बिना हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था नहीं चलाई जा सकती।’’
राहुल गांधी ने कहा कि पहले दुनिया कहती थी कि भारत और चीन एक रफ्तार से विकास कर रहे हैं, लेकिन अब दुनिया भारत में हिंसा को देख रही है। सड़कों पर महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है। चाहे एनआरसी हो या एनपीआर, यह गरीबों पर एक कर है, विमुद्रीकरण गरीबों पर कर था। यह गरीब लोगों पर हमला है, अब गरीब पूछ रहा है कि हमें नौकरी कैसे मिलेगी?
केन्द्र सरकार को इंगित करते हुए गांधी ने कहा, ‘‘आप जो करना चाहते हैं करें। लेकिन जब तक आप इस देश को जोड़ेंगे नहीं, जब तक देश के लोगों की आवाज विधानसभाओं और लोकसभा में सुनाई नहीं देगी, तब तक नाहीं रोजगार और नाहीं अर्थव्यवस्था के बारे में कुछ किया जा सकेगा। क्योंकि अर्थव्यवस्था को किसान, मजदूर, गरीब, आदिवासी ही चलाते हैं।’’
Congress leader Rahul Gandhi: Whether NRC or NPR, it is a tax on the poor, demonetisation was a tax on the poor. It is an attack on poor people, now the poor is asking how will we get jobs? pic.twitter.com/uRtYYy9YTy
— ANI (@ANI) December 27, 2019
कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि आप पूरा का पूरा पैसा 10—15 लोगों के हवाले कर देंगे। नोटबंदी करेंगे, गलत जीएसटी लागू करेंगे तब हिन्दुस्तान में रोजगार पैदा नहीं हो होगा और नाहीं हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था चलेगी। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में हम आदिवासियों का नृत्य देखेंगे। उनके इतिहास को समझने का मौका मिलेगा।
‘‘लेकिन मैं चाहता हूं कि हम सिर्फ आपका नृत्य ना देखें बल्कि मैं चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ की सरकार में, छत्तीसगढ़ को चलाने में आपकी (आदिवासियों की) आवाज सुनाई दे और आपके विचारों को उसमे शामिल किया जाए।’’ गांधी ने कहा कि आदिवासियों के समक्ष बहुत समस्याएं हैं। लेकिन मैं खुशी से कह रहा हूं कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आवाज सरकार में सुनाई दे रही है।
तेंदूपत्ते की बात हो, उन्हें जमीन वापस देने की बात हो, कुपोषण से लड़ाई की बात हो, छत्तीसगढ़ की सरकार आपके :आदिवासियों के: साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में होने वाली हिंसा में पहले के मुकाबले कमी आयी है क्योंकि मौजूदा सरकार जनता की आवाज सुनती है।
विधानसभा में किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि सबकी आवाज सुनाई देती है। देश के हालात से आप वाकिफ हैं। बाकि प्रदेशों में जो चल रहा है, आप सबकुछ जानते हैं। किसानों की समस्या, आत्महत्या, अर्थव्यवस्था की हालत, बेरोजगारी यह आप जानते हैं इसे दोहराने की जरूरत नहीं है। गांधी ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ में चाहे वह आदिवासियों की बात हो या फिर किसानों, युवाओं या माताओं-बहनों की बात हो, हम सबको साथ लेकर राज्य को आगे ले जा रहे हैं।
Congress leader Rahul Gandhi: Earlier the world used to say that India and China are growing at the same pace but now world is seeing violence in India, women not feeling safe on the streets and rising unemployment. #Chhattisgarhpic.twitter.com/4Vw7XMxNTg
— ANI (@ANI) December 27, 2019
इसका फर्क दिख रहा है। हिंसा कम हुई है।’’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनसे (राहुल गांधी से) इस महोत्सव में शामिल होने के लिए पूछा था। पूछने की जरूरत नहीं थी जहां आदिवासियों की बात होती है वहां तत्काल मेरी सहमति रहती है। गांधी ने महोत्सव को लेकर कहा कि यहां आए आदिवासियों को अपना इतिहास और संस्कृति को दिखाने का मौका मिलेगा। इस महोत्सव में अनेकता में एकता दिखाई देगी। यही हमारा लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ में सब लोग मिलकर एक साथ आगे बढ़ें।
इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य की 32 फीसदी आबादी आदिवासी है। अनेक राज्यों से और अन्य देशों से आदिवासी यहां आए हैं। वे अपनी संस्कृति से हमारा परिचय कराएंगे। उनकी संस्कृति को बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी है। बघेल ने बताया कि 1,300 कलाकारों ने यहां आने की सहमति दी थी लेकिन अब यहां 1,800 कलाकार आए हैं।
कार्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर विभिन्न राज्यों और देशों से आए आदिवासी कलाकारों ने आकर्षक मार्च पास्ट किया। आदिवासी नृत्य महोत्सव में राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ मान्दर बजाकर आदिवासी नृतक दल के साथ नृत्य कर उनका उत्साहवर्धन किया।
कार्यक्रम के दौरान पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, बघेल मंत्रिमंडल के सदस्य, भारत में यूनाइटेड नेशन मिशन की चीफ यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर रेनाटा लोक डेसालियन और राज्य के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
तीन दिवसीय इस नृत्य महोत्सव में देश के 25 राज्य और केन्द्रशासित प्रदेशों के साथ ही छह देशों के लगभग 1,800 से अधिक प्रतिभागी अपनी जनजातीय कला और संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। इस महोत्सव में 39 जनजातीय प्रतिभागी दल चार विभिन्न विधाओं में 43 से अधिक नृत्य शैलियों का प्रदर्शन करेंगे।