कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों की बैठक सोमवार को यहां आरंभ हो गई जिसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों और कई विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा के बाद पैदा हुए हालात, आर्थिक मंदी तथा कई अन्य मुद्दों पर चर्चा होनी है।
कांग्रेस द्वारा बुलाई गई इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद, भाकपा के डी राजा, रालोद के अजित सिंह तथा कई अन्य नेता शामिल हैं। इस बैठक में बसपा, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई हैं।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में सीएए विरोधी प्रदर्शनों, जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में हिंसा के बाद के हालात, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और कृषि संकट पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में संसद के आगामी बजट सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर भी चर्चा हो सकती है।
बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हो रहे प्रदर्शनों और उसके कारण विभिन्न विश्वविद्यालयों में हो रही हिंसा के मद्देनजर सोमवार को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। यह बैठक संसद एनेक्सी में दोपहर दो बजे होगी। इस बीच आम आदमी पार्टी ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। माना जा रहा है कि दिल्ली चुनाव को देखते हुए किसी भी तरह के विवााद से बचने के लिए आम आदमी पार्टी ने यह फैसला किया है। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि हमें ऐसी किसी बैठक की जानकारी ही नहीं है तो जाने का तुक ही पैदा नहीं होता।
गौरतलब है कि इस बैठक में शामिल होने से बहुजन समाज पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पहले ही मना कर चुके हैं। सीएए के खिलाफ जब विपक्षी दल राष्ट्रपति के पास गए थे, उस वक्त भी बसपा उनके साथ नहीं थी। हालांकि पार्टी ने बाद में इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की थी।
मायावती ने सोमवार को ट्वीट करके कहा, 'जैसाकि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहाँ बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है।'
मायावती ने आगे लिखा, 'ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।'
उन्होंने लिखा, 'वैसे भी बीएसपी CAA/NRC आदि के विरोध में है। केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले। साथ ही, JNU व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है।'