CM रमन सिंह को प्राप्त है ये वरदान, भेद खुलते ही हार जाएंगे छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव!
By खबरीलाल जनार्दन | Published: August 11, 2018 01:24 PM2018-08-11T13:24:56+5:302018-08-11T13:24:56+5:30
पंयायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा, संसदीय कार्य मंत्री अजय चंद्राकर रमन सिंह को प्राप्त वरदान के बारे में बताया है।
रायपुर, 11 अगस्तः छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव जैसे करीब-करीब आते जा रहे हैं, बयानों का दौर जारी शुरू हो गया है। पंयायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा, संसदीय कार्य मंत्री अजय चंद्राकर ने छत्तीगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह को इच्छा मृत्यू का वरदान होन की बात कही है। अजय चंद्राकर ने एक कार्यक्रम में कहा, डॉ. साहब (डॉ. रमन सिंह) को इच्छा मृत्यू का वरदान प्राप्त है। भीष्म पितामह की तरह उन्हें पता है कि कब मरना, कब जीतना है। जब तक छत्तीसगढ़ को समृद्ध नहीं बनाएंगे, किसी को भेद नहीं बताएंगे कि कैसे और कब हारेंगे।
अजय चंद्राकर छग सीएम डॉ. सिंह के सबसे करीबी बताए जाते हैं। उन्होंने रायपुर के दुर्गा कॉलेज से हिन्दी में एमए किया है। इसके बाद विष्णु प्रभाकर के नाटकों पर रिसर्च किया। इसे बाद वे राजनीति में आए। पिछले चुनावों में रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी। वे छत्तीसगढ़ राजनीति के पढ़े-लिखे और समझदार नेताओं में गिना जाता है। वे पहले टेक्नोलॉजी मंत्री का प्रभार संभाल चुके हैं। शिक्षा क्षेत्र में वे सक्रिय रहते हैं।
Dr Sahab (CM Raman Singh) ko iccha mrityu ka vardaan prapt hai. Bhishma Pitamah ki tarah unhe pata hai ki kab haarna hai, kab jeetna hai. Jab tak Chhattisgarh ko samriddh nahi banayenge, kisi ko bhed nhi batayenge ki kaise aur kab haarenge: Chhattisgarh Min Ajay Chandrakar (10.8) pic.twitter.com/nz678d72Et
— ANI (@ANI) August 11, 2018
ऐसे में भीष्म पितामह जैसे बयान वे क्यों दे रहे हैं, इसमें क्या कोई राजनीतिक पहलू है, इस सिलसिले में बात करने के लिए जब हमने उनसे संपर्क साधा तो उनसे बात नहीं पाई। बहरहाल उनके बयान के विपक्ष यह मायने निकाल रहा है कि रमन सिंह कामों के बजाए किसी वरदान की वजह से चुनाव जीत रहे हैं, जिसका कोई भेद है। भेद खुलते ही छत्तीसगढ़ का चुनाव रमन सिंह हार जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 12.82 प्रतिशत है और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 30.62 प्रतिशत। यानी कुल जनसख्या का 43.44 प्रतिशत। इसके आधार पर छत्तीसगढ़ की कुल 90 विधानसभा सीटों में 39 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित हैं और 29 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा की आरक्षित सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन
| सामान्य | अनुसूचित जाति | अनुसूचित जनजाति |
कुल सीटें | 51 | 10 | 29 |
जीती सीटों की संख्या | 30 | 8 | 11 |
जीती सीटों का प्रतिशत | 58.8 % | 80% | 30.1% |
- 51 सामान्य सीटों पर बीजेपी के 29 प्रत्याशी चुनाव जीत कर आये।
- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 सीटों में बीजेपी ने कुल 8 सीटें जीतीं।
- अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 29 सीटों में बीजेपी ने 11 सीटें जीतीं।
- इन आंकड़ों के आधार पर सामान्य सीटों पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत 56.8 रहा।
- अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित सीटों पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत 80 रहा।
- अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित सीटों पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत 30.1 रहा।
छत्तीसगढ़ विधानसभा की आरक्षित सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन
| सामान्य | अनुसूचित जाति | अनुसूचित जनजाति |
कुल सीटें | 51 | 10 | 29 |
जीती सीटों की संख्या | 18 | 1 | 20 |
जीती सीटों का प्रतिशत | 35.2% | 10% | 68.9% |
- 51 सामान्य सीटों पर कांग्रेस के 18 प्रत्याशी चुनाव जीत कर आये।
- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 सीटों में कांग्रेस ने कुल 1 सीट जीती।
- अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 29 सीटों में कांग्रेस ने 20 सीटें जीतीं।
- इन आंकड़ों के आधार पर सामान्य सीटों पर कांग्रेस की जीत का प्रतिशत 35.2 रहा।
- अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित सीटों पर कांग्रेस की जीत का प्रतिशत 10 रहा
- अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित सीटों पर कांग्रेस की जीत का प्रतिशत 68.9 रहा।
छत्तीसगढ़ की आरक्षित सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के प्रदर्शन की तुलना
बीजेपी और कांग्रेस को मिले मत की तुलना की जाए तो बीजेपी को 51 सामान्य सीटों पर 58.8% समर्थन मिला है वहीं कांग्रेस को 35.2%। यानी कांग्रेस का प्रदर्शन बीजेपी के मुकाबले 23.6 प्रतिशत तक कम है।
इसके बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 सीटों की बात की जाए तो बीजेपी को 80% सफलता मिली तो कांग्रेस को 10% यानी इन सीटों पर कांग्रेस को नए सिरे से काम करने की आवश्यकता है।
अनुसूचित जनजाति के परिणामों की बात की जाए तो बीजेपी को 29 आरक्षित सीटों पर 30.1 प्रतिशत सफलता हासिल हुई है वहीँ कांग्रेस को 68.9% सफलता मिली।
छत्तीसगढ़ की आरक्षित सीटें बीजेपी के लिए मुसीबत
इसका एक मतलब साफ है कि कांग्रेस को अनुसूचित जनजातियों से मिलने वाला यह समर्थन बरकरार रहता है तो बीजेपी के लिये आगामी विधानसभा चुनाव आसान नहीं होंगे। हालांकि वर्तमान सरकार ने लगातार दो चुनाव जीते हैं लेकिन माहौल किसके पक्ष में हैं यह अभी भी कहना मुश्किल है?
हिंदी खबरों और देश-दुनिया की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें। यूट्यूब चैनल यहां सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट।