बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में जाति आधारित जनगणना के पक्ष में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर दिया है। एनआरसी व एनपीआर पर बिहार में नीतीश कुमार द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराए जाने के बाद जाति अधारित जनगणना पर नीतीश के फैसले को एक बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, देश में पहली बार 1931 में जातिगत आधार पर जनगणना (Census) की गई थी।
इसके बाद 2011 में भी ऐसा हुआ, लेकिन इस रिपोर्ट में खामियां बताकर जारी नहीं किया गया। हालांकि लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने जातिगत आधार पर जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की गुजारिश की थी। ऐसे में नीतीश कुमार द्वारा लिए गए इस फैसले से अब बिहार की राजनीति में बड़े फेर बदल की आशंका के तौर पर देखा जा रहा है।
बता दें कि बुधवार को दिल्ली में सीएए व एनआरसी के मुद्दे पर जारी हिंसा के बीच बिहार की राजनीतिक में भूचाल आ गई है। एनआरसी व नए एनपीआर के नए प्रारूप को लागू नहीं करने को लेकर बिहार विधानसभा में प्रस्ताव पास होने के बाद अब नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल करने का न्यौता पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने दिया है। इसके साथ ही जीतन राम मांझी ने कहा कि प्रदेश में सीएम पद के लिए नीतीश कुमार से बड़ा चेहरा कोई नहीं है।
न्यूज 18 से बात करते हुए पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने यह भी कहा कि अब फैसला नीतीश कुमार जी को करना है। यदि वह महागठबंधन में आते हैं तो उनका स्वागत है।
कांग्रेस नेता अवधेश सिंह ने भी दिया संकेत-
कांग्रेस नेता अवधेश सिंह ने भी कहा है कि नीतीश जी एक सेक्यूलर नेता हैं, इस बात से कोई परहेज नहीं है। मंगलवार को तेजस्वी जी व मेरे से उनकी मुलाकात हुई। राजनीति में कुछ भी संभव है। दरअसल, इस समय बिहार विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। इसी सत्र के दौरान बिहार के दो दिग्गज नेता नीतीश कुमार व तेजस्वी यादव के बीच मुलाकात हुई। ऐसे में सवाल उठता है कि 25 फरवरी को दोनों नेताओं के बीच हुई इस मुलाकात के बाद ऐसा क्या हुआ कि कुछ देर बाद ही विधानसभा में एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास हो गया।
करीब तीन साल बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच हुई मुलाकात करीब तीन साल बाद जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच कमरे में 20 मिनट की मुलाकात हुई। इस दौरान नीतीश कुमार-तेजस्वी के अलावा आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और कांग्रेस विधायक अवधेश नारायण सिंह भी मौजूद थे। इस मुलाकात के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने इन तीनों नेताओं के सामने अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि दिखाने की पूरी कोशिश की। वहीं, तेजस्वी ने भी मुख्यमंत्री से कहा कि जब आप खुले मंच से एनआरसी का विरोध पहले ही कर चुके हैं तो एनपीआर के साथ एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव भी आज ही पारित कराई जाए।
इस बात पर नीतीश कुमार ने तुरंत हां भर दी, इसके बाद फिर क्या था जैसे ही सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो ये दोनों प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गए। इसके तहत तय हुआ है कि एनपीआर प्रदेश में 2010 के नियमों व प्रावधान के तहत ही कराए जाएंगे।