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Bihar assembly elections: महागठबंधन में फंसा पेंच, राजद ने कांग्रेस को दिया अल्टीमेटम, कहा-58 सीट लो, नहीं तो रास्ता तलाशें

By एस पी सिन्हा | Updated: September 28, 2020 18:30 IST

दोनों बड़ी पार्टियों के बीच टकराव से वीआईपी और वामपंथी दलों का भविष्य भी अधर में लटक गया है. उधर कांग्रेस ने बिहार के प्रमुख नेताओं को दिल्ली बुला लिया है. राजद ने कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया है की उन्हें 58 से अधिक सीटें नहीं दी जा सकती है. अगर उन्हें 58 सीट मंजूर नहीं है तो अपना रास्ता तलाशें. 

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ठळक मुद्देहालात ये है कि पिछले एक सप्ताह से सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच बातचीत बंद है.कांग्रेस को  विधानसभा की 58 सीटों पर चुनाव लड़ना है तो लडे़, इसके साथ ही लोकसभा की एक सीट उन्हें दी जाएगी.अगर इतना मंजूर है तो ठीक, वरना अपना दूसरा रास्ता तलाशें. राजद प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस देश भर में चुनाव लड़ती है. हम तो बिहार में ही मजबूती से लड़ते हैं.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव सामने है और महागठबंधन में भारी पेंच फंस गया है. कांग्रेस के द्वारा मांगी जा रही ज्यादा सीटों से राजद हैरान है. हालात ये है कि पिछले एक सप्ताह से सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच बातचीत बंद है.

दोनों बड़ी पार्टियों के बीच टकराव से वीआईपी और वामपंथी दलों का भविष्य भी अधर में लटक गया है. उधर कांग्रेस ने बिहार के प्रमुख नेताओं को दिल्ली बुला लिया है. राजद ने कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया है की उन्हें 58 से अधिक सीटें नहीं दी जा सकती है. अगर उन्हें 58 सीट मंजूर नहीं है तो अपना रास्ता तलाशें. 

राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने आज स्पष्ट कर दिया है कि, कांग्रेस को  विधानसभा की 58 सीटों पर चुनाव लड़ना है तो लडे़, इसके साथ ही लोकसभा की एक सीट उन्हें दी जाएगी. अगर इतना मंजूर है तो ठीक, वरना अपना दूसरा रास्ता तलाशें. राजद प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस देश भर में चुनाव लड़ती है. हम तो बिहार में ही मजबूती से लड़ते हैं.

बिहार में राजद के पास सबसे अधिक वोट

ऐसे में हमारा हक बनता है कि अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ें. वैसे भी बिहार में राजद के पास सबसे अधिक वोट है. आगे उन्होंने कहा कि राजद और कांग्रेस का नेचुरल एलायंस है और पुरानी सहयोगी है. लेकिन कांग्रेस को समझना चाहिए कि राजद अपने दम पर एनडीए को हराने में सक्षम है.

ऐसे में राजद की तरफ से जो आफर है उसे स्वीकार करे और एनडीए को हराने में मजबूती से जुट जाए. इसबीच, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी ने राजद को साफ साफ बता दिया है कि उसे 90 सीटें चाहिये. बाकी की 153 सीटें राजद अपने पास रखे और उसमें से वाम दलों और वीआईपी को हिस्सा दे. ऐसे में कांग्रेस की भारी-भरकम मांग से हैरान राजद ने फिलहाल बातचीत बंद कर दी है.

गोहिल और अविनाश पांडेय तेजस्वी प्रसाद यादव और लालू यादव से बात कर रहे थे

कांग्रेसी सूत्रों के मुताबिक पार्टी की ओर से बिहार के प्रभारी महासचिव शक्ति सिंह गोहिल और अविनाश पांडेय तेजस्वी प्रसाद यादव और लालू यादव से बात कर रहे थे. पिछले महीने आमने-सामने बातचीत हुई थी बाद में टेलीफोन पर बातचीत हो रही थी. लेकिन तकरीबन एक सप्ताह से बातचीत बंद है.

राजद 90 सीट की बात तो दूर कांग्रेस और वीआईपी पार्टी के लिए 60 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नही है. ऐसे में बातचीत आगे बढ ही नहीं रही है. कांग्रेस के एक प्रमुख नेता ने कहा कि लालू प्रसाद यादव बार-बार कांग्रेस के साथ वादाखिलाफी कर रहे हैं. उन्होंने पहले ही कहा था कि कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में 73 सीटें देंगे. कांग्रेस उस वक्त भी राजी नहीं थी. लेकिन अब राजद 58 सीट की बात करने लगा है.

कांग्रेस के नेता ने बताया कि लालू यादव ने लोकसभा चुनाव के समय भी ऐसा ही किया था

कांग्रेस के नेता ने बताया कि लालू यादव ने लोकसभा चुनाव के समय भी ऐसा ही किया था. पहले उन्होंने कांग्रेस को 11 लोकसभा सीट देने का वादा किया था. लेकिन ऐन वक्त पर 7-8 सीट देने की बात करने लगे. जैसे तैसे कांग्रेस 9 लोकसभा सीट ले पाई. कांग्रेस के नेता के मुताबिक लोकसभा के अनुभव को देखते हुए इस बार पार्टी सतर्क है. लिहाजा कांग्रेस के नेता बहुत कॉम्प्रोमाइज करने को तैयार नहीं हैं. कांग्रेस 90 सीटों की डिमांड कर रही है ताकि मुकेश सहनी को एडजस्ट किया जा सके.

इसबीच, राजद से बातचीत पर ब्रेक लगने के बाद कांग्रेस ने बिहार के अपने सीनियर नेताओं को दिल्ली बुला लिया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा समेत दूसरे प्रमुख नेता दिल्ली कूच कर गये हैं. पार्टी बिहार के नेताओं के साथ सारी संभावनाओं को टटोलेगी. मकसद ये भी है कि राजद को मैसेज जाये कि कांग्रेस उसके बगैर भी चुनाव लड़ सकती है.

इससे राजद पर दबाव बनेगा. उधर चर्चा ये भी है कि तेजस्वी दिल्ली जाने वाले हैं. वहीं उनकी बातचीत कांग्रेस के वरीय नेताओं से होगी और इसमें सीटों का बंटवारा फाइनल हो जायेगा. लेकिन मामला पेचीदा है. आसानी से सुलझने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि मामला अब सोनिया गांधी या राहुल गांधी के लेवल पर ही सुलझेगा.

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