लाइव न्यूज़ :

जब साधु के भेष में अयोध्या आए महाकाल! जानिए कैसे भगवान श्रीराम ने छोड़ी थी ये धरती

By विनीत कुमार | Updated: March 18, 2020 13:45 IST

Open in App
1 / 10
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी लोक की एक सच्चाई है कि यहां जो भी आता है, उसे जाना ही होता है और इससे भगवान भी कभी नहीं बचे। फिर वह चाहे त्रेतायुग में जन्में श्रीराम हों या फिर द्वापर में अधर्मियों का नाश करने आए श्रीकृष्ण, सभी को समय पूरा होने पर ये भूलोक छोड़ जाना पड़ा।
2 / 10
रामायण काल में रावण के वध और फिर कई वर्षों तक अयोध्या में गद्दी संभालने के बाद श्रीराम को भी मृत्यु का सामना करना पड़ा था। शेषनाग के अवतार लक्ष्मण भी मृत्यु को प्राप्त हुए। विधि का विधान आखिरकार उन पर भी लागू हुआ। आज हम आपको लक्ष्मण और श्रीराम के मृत्युलोक छोड़ने की कथा बताने जा रहे हैं।
3 / 10
पौराणिक कथा के अनुसार सबसे पहले पृथ्वीलोक लक्ष्मण ने छोड़ी। वे शेषनाग का अवतार थे। लक्ष्मण के बाद भगवान राम भी बैकुंठ लौट गये थे। श्रीकृष्ण की मृत्यु के संबंध में एक प्रसंग ये है कि उन्हें एक शिकारी का बाण पैरों में लगा था लेकिन क्या आप जानते हैं श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई। इसके पीछे भी भगवान की एक लीला है।
4 / 10
रामायण की कथा के अनुसार एक दिन भगवान राम से मिलने एक संत आये और उनसे अकेले में कुछ जरूरी बात करने के लिए कहने लगे। भगवान राम इसके लिए तैयार हो गये लेकिन संत ने यह शर्त रखी कि उन दोनों की वार्तालाप के दौरान अगर कोई भी आ जाता है तो उसे मृत्युदंड दिया जाए।
5 / 10
संत की शर्त सुन राम ने बात मान ली और लक्ष्मण को जिम्मेदारी सौंपी कि उनकी बातचीत के बीच कोई भी विघ्न नहीं डाले। दरअसल, राम के साथ जो संत बात कर रहे थे वे महाकाल थे और वे यह बताने आये थे कि धरती पर उनका समय अब पूरा हो चुका है।
6 / 10
श्रीराम तो विष्णु के अवतार थे। इसलिए उन्हें पता था कि क्या होने वाला है। वहीं, लक्ष्मण को यह बात पता नहीं थी। बहरहाल वे द्वारपाल बनकर स्वंय पहरेदारी करने लगे ताकि कोई भी अंदर कक्ष में नहीं जा सके।
7 / 10
इसी बीच दुर्वासा ऋषि वहां अचानक आ गये और राम से मिलने की बात कहने लगे। लक्ष्मण ने जब उनसे प्रार्थना करते हुए इसके लिए मना किया तो दुर्वासा ऋषि क्रोधित हो गये और राम सहित पूरी अयोध्या को शाप देने की बात कहने लगे।
8 / 10
दुर्वासा ऋषि की बात सुन लक्ष्मण दुविधा में फंस गए। लक्ष्मण ने सोचा कि अगर पूरी अयोध्या को शाप लगा तो अनिष्ट हो जाएगा। इससे बेहतर है कि वे ही मृत्युदंड स्वीकार कर ले। यह विचार कर लक्ष्मण उस कक्ष में चले गये जहां संत और राम के बीच बात हो रही थी।
9 / 10
लक्ष्मण ने राम को पूरी बात बताई। ऐसे में ऋषि दुर्वासा और राम की मुलाकात तो हो गई लेकिन प्रतिज्ञा के अनुसार लक्ष्मण को प्राण दंड दिया जाना था। इसलिए राम ने लक्ष्मण को देश से बाहर चले जाने का आदेश दिया। उस युग में देश से बाहर निकाला जाना भी मृत्यु के बराबर माना जाता था। ऐसे में लक्ष्मण सरयू नदी के अंदर चले गये और शरीर त्याग दिया।
10 / 10
श्रीराम भी अपने भाई के बिना एक पल नहीं रह सकते थे। उन्हें जब इस बात की जानकारी मिली तो वे भी अपना राजपाट अपने पुत्रों को सौंपकर सरयू नदी में समा गये। इस प्रकार भगवान राम भी बैकुंठ लौट गये।
टॅग्स :राम नवमीभगवान रामरामायण
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

पूजा पाठMaharishi Valmiki Jayanti 2025: कैसे राम की भक्ति में लीन महर्षि वाल्मीकि?, रामायण रचयिता की जयंती

पूजा पाठDussehra 2025: यूपी और महाराष्ट्र के इस गांव में 158 साल पुराना मंदिर, जहां होती है रावण की पूजा, जानिए क्यों

भारतDussehra 2025: दिल्ली के 4 सबसे फेमस रावण दहन स्थल, मेले की रौनक, झूले और खाने-पीने...

बॉलीवुड चुस्कीPrem Sagar News: कौन थे प्रेम सागर?, 81 वर्ष में निधन

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार