Mahakal Sawari 2021: श्री महाकालेश्वर की सवारी, हाथी पर मनमहेश स्वरूप के दर्शन, देखें तस्वीरें

By बृजेश परमार | Published: August 16, 2021 08:36 PM2021-08-16T20:36:41+5:302021-08-16T20:40:10+5:30

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श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण माह के चौथे एवं अंतिम सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी सम्पूर्ण परंपरा व वैभव के साथ सायं 04 बजे सभामंडप में कोटतीर्थ कुण्ड के पवित्र जल से अभिषेक एवं  पूजन के उपरान्त नगर भ्रमण पर निकली।

सभामण्डप में मंदिर के मुख्य पुजारी पं.श्री घनश्याम शर्मा द्वारा भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया।

सवारी के दौरान भक्तों को रजत पालकी में भगवान के चंद्रमौलिश्वर एवं हाथी पर मनमहेश स्वरूप के दर्शन हुए । 

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार ने भगवान श्री चंद्रमौलीश्वर का पूजन किया।

पूजन के दौरान सभा मंडप भगवान श्री महाकाल के जयकारों व झांझ मं‍जिरों की ध्वनि से गुंजित हो उठा व बाबा के जयकारों के साथ सभी गणमान्यों ने पालकी में विराजित श्री चन्द्रमौलीश्वर को नगर भ्रमण की ओर रवाना किया।

पालकी मुख्य द्वार पर पहुची  होमगार्ड, पुलिस एवं एस.ए.एफ. के जवानों द्वारा भगवान को सलामी दी गई। सवारी में श्री चन्द्रमौलीश्वर पालकी में व श्री मनमहेश हाथी पर सवार होकर अपनी प्रजा का हॉल जानने नगर भ्रमण पर निकले।

भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर की पालकी श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार से बड़ा गणेश मंदिर के सामने उज्जैन स्थित सप्त् सागरों में से एक रुद्रसागर (रुद्रसागर वही पवित्र सागर हैं जिसमें भगवान श्री महाकालेश्वर ने कपाल (मुंडमाला) प्रक्षालन किया था) ,हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्धआश्रम के सामने से निकल कर क्षिप्रातट रामघाट पहुंची।

रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से श्री चन्द्रमौलीश्वर का अभिषेक-पूजन  किया गया। मॉ क्षिप्रा को विष्णुदेहा, ज्वारघ्नी , पापनाशिनी भी कहा जाता है, यह भगवान श्री विष्णु की उंगली से उत्पन्न हुई हैं।

सवारी निकासी के समय के उद्घोषक, तोपची भगवान श्री महाकाल का ध्वज, अश्वारोही दल, विशेष सशस्त्र बल, पुलिस बैण्ड, नगर सेना, महाकाल के पुजारी-पुरोहित, ढोलवादक, झांझवादक, चोपदार, चांदी की झाडुवाहक, अन्य आवश्यक व्यवस्था में लगने वाले अधिकारी-कर्मचारी सीमित संख्या में उपस्थित थे।