Lok Sabha Elections 2024: 1.35 लाख करोड़ रुपये होंगे खर्च!, देश के इतिहास में अब तक लड़ा गया सबसे महंगा चुनाव, विशेषज्ञों ने कहा- ग्रामीण भारत को फायदा, जानें पीछे की कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 5, 2024 08:13 PM2024-05-05T20:13:31+5:302024-05-05T20:15:02+5:30
Lok Sabha Elections 2024: भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 35 प्रतिशत चुनावी खर्च अभियान और प्रचार पर किया गया था।
Lok Sabha Elections 2024: वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने के साथ ही न केवल राजनीतिक परिदृश्य में बल्कि अर्थव्यवस्था पर इसके असर को लेकर भी उम्मीदें बनी हुई हैं, खासकर भारत के ग्रामीण क्षेत्र में, क्योंकि विशेषज्ञों ने इस चुनाव को देश के इतिहास में अब तक लड़ा गया सबसे महंगा चुनाव बताया है। ‘सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज’ के अध्यक्ष और 35 वर्षों से चुनाव खर्च पर नज़र रखने वाले एन भास्कर राव ने इस चुनाव में लगभग 1.35 लाख करोड़ रुपये का खर्च होने का अनुमान लगाया है। व्यावसायिक घरानों का मानना है कि चुनाव के दौरान खर्च की गई राशि का महत्वपूर्ण हिस्सा भारत की ग्रामीण आबादी के पास जाएगा जिससे बिक्री में बढ़ोतरी होगी। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 35 प्रतिशत चुनावी खर्च अभियान और प्रचार पर किया गया था।
राशि का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा विभिन्न माध्यमों से मतदाताओं को मिला था, जिसमें प्रमुख माध्यम श्रमिकों को काम पर रखना, अभियान सामग्री खरीदना, मुफ्त उपहार और कुछ मामलों में प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण थे। उद्योग जगत के लोगों को उम्मीद है कि चुनाव में होने वाले खर्च का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, खासकर भारत के ग्रामीण इलाकों में।
भारत की शीर्ष 'प्लाईबोर्ड' निर्माता कंपनी 'सेंचुरी प्लाईबोर्ड' के कार्यकारी निदेशक केशव भजंका ने बताया, ‘‘आने वाले दो तीन महीनों में अनुमानित भारी चुनावी खर्च से ग्रामीण खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।" उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी का उद्देश्य ग्रामीण उपभोक्ताओं की बढ़ती प्राथमिकताओं और जरूरतों के अनुरूप अपने उत्पाद की पेशकश और विपणन रणनीतियों को अपनाकर इस अवसर का लाभ उठाना है। भजंका ने कहा, "कंपनी अपने वितरण जाल का विस्तार करने और ग्रामीण क्षेत्रों में 'ब्रांड' की दृश्यता बढ़ाने के अपने प्रयासों को तेज करने की भी योजना बना रही है।
ताकि चुनाव के बाद अपेक्षित बाजार में वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा हासिल किया जा सके।'' ‘अन्नपूर्णा स्वादिष्ट’ के प्रबंध निदेशक श्रीराम बागला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान समग्र रूप से ‘फ़ास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (एफएमसीजी)' क्षेत्र की ग्रामीण मांग थोड़ी कम रही है।
बागला ने कहा, ‘‘हम चुनाव संबंधी खर्चों पर अधिक खर्च के मद्देनजर ग्रामीण और अर्ध-शहरी बाजारों की मांग में सुधार होने की उम्मीद कर रहे हैं। सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर खासा जोर देती नजर आ रही है। इससे गांवों में खपत बढ़ने की संभावना है, जिससे एफएमसीजी उत्पादों की मांग बढ़ेगी।’’ पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने पुष्टि की कि आदर्श आचार सहिंता की शुरुआत के बाद से राज्य से 57.67 करोड़ रुपये की मुफ्त वस्तुएं जब्त की गई हैं।