पढ़िए मिर्ज़ा ग़ालिब के 10 मशहूर शेर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 27, 2018 02:42 PM2018-12-27T14:42:36+5:302018-12-27T14:43:22+5:30

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अपनी हस्ती ही से हो जो कुछ हो आगही गर नहीं ग़फ़लत ही सही

आ ही जाता वो राह पर 'ग़ालिब' कोई दिन और भी जिए होते

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई दोनों को इक अदा में रज़ा-मंद कर गई

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है

दर्द हो दिल में तो दवा कीजे और जो दिल ही न हो तो क्या कीजे

जान तुम पर निसार करता हूँ मैं नहीं जानता दुआ क्या है