1 / 8भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को कहा कि इसने स्वदेश निर्मित उन्नत टारपीडो विध्वंसक प्रणाली ‘मारीच’ को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है जो अग्रिम मोर्चे के सभी युद्धपोतों से दागी जा सकती है।2 / 8यह प्रणाली किसी भी टारपीडो हमले को विफल करने में नौसेना की मदद करेगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित ‘मारीच’ प्रणाली हमलावर टारपीडो का पता लगाने, उसे भ्रमित करने और नष्ट करने में सक्षम है। 3 / 8नौसेना ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘निर्दिष्ट नौसैन्य मंच पर लगे इस प्रणाली के प्रतिरूप ने सभी प्रायोगिक मूल्यांकन परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए थे और नौसैन्य स्टाफ मानदंड आवश्यकताओं के अनुरूप सभी विशेषता प्रदर्शनों पर यह खरी उतरी थी।’’ 4 / 8इसने कहा कि ‘मारीच’ को शामिल किया जाना स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास की दिशा में न सिर्फ नौसेना और डीआरडीओ के संयुक्त संकल्प का साक्ष्य है, बल्कि यह सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल व प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनने के देश के संकल्प की दिशा में एक बड़ा कदम है। 5 / 8नौसेना ने कहा कि रक्षा उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा इस विध्वंसक प्रणाली का उत्पादन किया जाएगा। इसने कहा, ‘‘अग्रिम पंक्ति के सभी युद्धपोतों से दागे जाने में सक्षम उन्नत टारपीडो विध्वंसक प्रणाली मारीच के लिए एक करार पर पहुंचने के साथ आज भारतीय नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता में बड़ी मजबूती हासिल हुई है।’’6 / 8यह प्रणाली किसी भी टारपीडो हमले के खिलाफ नौसेना की रक्षा उपायों को लागू करने में सहयोग प्रदान करेगा। यह प्रणाली आने वाले टारपीडो का पता लगाने, हटाने,भ्रमित करने और नष्ट करने में सक्षम है।7 / 8तारपीडो (Toropedo) एक स्वचलित विस्पोटक प्रक्षेपास्त्र है जिसे किसी पोत से जल की सतह के ऊपर या नीचे दागा जा सकता है। यह प्रक्षेपास्त्र जल सतह के नीचे ही चलता है। लक्ष्य से टकराने से अथवा समीप आने पर इसमे विस्पोट हो जाता है।8 / 81866 में रॉबर्ट व्हाइटहेड नामक अंग्रेज ने स्वचालित तारपीडो का पहले पहल प्रयोग किया। उसके बाद से तारपीडो में अनेक आश्चर्यजनक सुधार एवं परिवर्तन हुए हैं। आज के तारपीडो में मूल तारपीडो से कुछ भी समानता नहीं है।