1 / 5प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों के समक्ष बेहद महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है और इस बात में कोई संदेह नहीं है कि हमारी वैज्ञानिक प्रतिभाएं मंजिल को हासिल कर लेंगी।2 / 5प्रधानमंत्री ने मंगलवार को गगनयान मिशन तथा अंतरिक्ष यात्री बचाव प्रणाली परीक्षण यान की पहली प्रदर्शन उड़ान की तैयारियों की समीक्षा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों के साथ की। इसके अलावा अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनकी शानदार उपलब्धियों को देखते हुए उनके लिए नए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। 3 / 5प्रधानमंत्री ने 2035 में भारत का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने तथा 2040 में चांद पर भारतीय नागरिक के कदम पड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया। बैठक के दौरान इसरो की भावी योजनाओं पर भी चर्चा की। भारत ने अंतरिक्ष में सफलता के झंडे रातों रात नहीं गाड़े हैं। इसके पीछे दशकों की अथक मेहनत, वैज्ञानिकों के त्याग तथा समर्पण एवं विलक्षण प्रतिभा है। 4 / 5भारत के अंतरिक्ष विज्ञान का सफर साइकिल से शुरू हुआ और आज हम इस क्षेत्र में एक महाशक्ति बन गए हैं। चंद्रयान तथा मंगलयान ने दुनिया के अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में नए आयाम जोड़े। 5 / 5आदित्य एल-1 सूर्य की ओर बढ़ रहा है। वह पृथ्वी से 15 लाख किमी की ऊंचाई पर सूर्य के रहस्यों का अध्ययन करेगा। चंद्रयान-3 भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता का ताजा उदाहरण है। उन्होंने चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारा। चंद्रयान-3 ने सिर्फ दो हफ्ते काम किया लेकिन इस छोटी सी अवधि में उसने चांद पर खनिजों की खोज की तथा कई नए तथ्यों की जानकारी भी भेजी। इन तथ्यों से न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चंद्रमा के बारे में भावी अनुसंधान में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।