शहीद भगत सिंह की जयंती पर पढ़ें उनके पसंदीदा शेर

By संदीप दाहिमा | Published: September 28, 2018 04:15 PM2018-09-28T16:15:46+5:302018-09-28T16:15:46+5:30

Next

मेरी कलम भी वाकिफ़ है मेरे जज्बातों से, मैं इश्क़ भी लिखना चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है। - भगतसिंह

उसे यह फ़िक्र है हरदम नया तर्ज़े-ज़फा क्या है, हमे यह शौक़ है देखें सितम की इन्तहा क्या है। - भगतसिंह

दहर से क्यों खफ़ा रहें, चर्ख़ का क्यों गिला करें, सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें। - भगतसिंह

कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहले-महफ़िल, चराग़े-सहर हूँ बुझा चाहता हूँ। - भगतसिंह

हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली, ये मुश्ते-ख़ाक है फानी, रहे रहे न रहे। -भगतसिंह

तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूठ जाना, कि खुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता। - ग़ालिब

ये न थी हमारी किस्मत कि विसाले यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता। - ग़ालिब