पहले स्वंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के वे 10 नारे, जिन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 23, 2018 07:27 AM2018-07-23T07:27:20+5:302018-07-23T07:27:20+5:30

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बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को ब्रिटिश भारत में वर्तमान महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के एक गाँव चिखली में हुआ था।

उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" बहुत महशहूर है।

इसका मतलब होता है, स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा।

वे एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे।

तिलक ने यूँ तो अनेक पुस्तकें लिखीं।

लेकिन श्रीमद्भगवद्गीता की व्याख्या को लेकर मांडले जेल में लिखी गयी गीता-रहस्य सर्वोत्कृष्ट है जिसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

इन्होंने कुछ समय तक स्कूल और कालेजों में गणित पढ़ाया।

अंग्रेजी शिक्षा के ये घोर आलोचक थे और मानते थे कि यह भारतीय सभ्यता के प्रति अनादर सिखाती है।

आजादी के आंदोलन में एक गरम दल हुआ।

इस गरम दल में तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे।