कोरोना के बिना भी हो सकता है ब्लैक फंगस ? डायबिटीज के मरीजों को फंगस का अधिक खतरा ? जानें एक्सपर्ट्स की राय

By संदीप दाहिमा | Published: June 3, 2021 11:35 AM2021-06-03T11:35:16+5:302021-06-03T11:38:33+5:30

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भारत में कोविड-19 रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस के मामलों में तेज वृद्धि के बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह फंगल संक्रमण कोविड के बिना भी हो सकता है और इसलिए जिन्हें हाई ब्लड शुगर की समस्या है, उन्हें सतर्क रहना चाहिए।

नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि यह एक ऐसा संक्रमण है जो कोविड से पहले भी मौजूद था। ब्लैक फंगस के बारे में मेडिकल छात्रों को जो सिखाया जाता है, वह यह है कि यह डायबिटीज के मरीजों को यह संक्रमित करता है।

डायबिटीज की गंभीरता के बारे में बताते हुए डॉ पॉल ने कहा कि जब ब्लड शुगर लेवल 700-800 तक पहुंच जाता है, तो उस स्थिति को डायबिटीज केटोएसिडोसिस के रूप में जाना जाता है। ब्लैक फंगस बच्चों या वृद्ध लोगों में होना आम है।

डॉ पॉल ने कहा कि निमोनिया जैसी कोई अन्य बीमारी स्थिति को बढ़ा देती है। कोरोना इसका एक बड़ा कारण है लेकिन इसके अलावा स्टेरॉयड का उपयोग आता है। इन सभी ने स्थिति को जटिल बना दिया है, यह साफ है कि कोरोना के बिना लोगों को भी म्यूकोर्मिकोसिस हो सकता है।

एम्स के डॉ निखिल टंडन ने कहा है कि स्वस्थ लोगों को इस संक्रमण के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, जिन लोगों की प्रतिरक्षा कमजोर होती है, उन्हें केवल अधिक जोखिम होता है।

डॉ टंडन ने कहा कि ऐसा हुआ होगा कि महामारी की दूसरी लहर में कोविड संस्करण ने पहली लहर की तुलना में प्रतिरक्षा पर अधिक हमला किया है, यही वजह है कि म्यूकोर्मिकोसिस के इतने सारे मामले सामने आ रहे हैं। इसके अलावा, स्टेरॉयड का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है। लेकिन उचित जांच के बिना निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।