लहसुन खाने के इन फायदों को जानकर रह जाएंगे हैरान, सोने से पहले ऐसे खायें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 24, 2018 07:21 AM2018-12-24T07:21:16+5:302018-12-24T07:21:16+5:30

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सर्दियों में लहसुन के सेवन से शरीर को गर्मी मिलने के साथ-साथ इस मौसम में होने वाली सर्दी, खांसी, फ्लू, जुकाम आदि से भी राहत मिलती है। लहसुन का लगातार सेवन करने से मर्दाना ताकत में भी वृद्धि होती है। इससे पाचन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और अगर कोई सेक्स से जुड़ी समस्या से परेशान है तो उसे भी फायदा होता है। ठंड के मौसम में तमाम बीमारियों से बचने के लिए आपको लहसुन को भूनकर ही खाना होगा। इसके लिए आप लहसुन को बिना छीले अलग कर लें और कढ़ाई में अच्छी तरह भून लें। इसके बाद इसे छील कर इसका सेवन कर लें। आपको रात को सोने से पहले इसका सेवन करना चाहिए।

1) कैंसर से बचाने में सहायक: लहसुन के अंकुरित होने के प्रक्रिया के दौरान उसमें फाइटोकेमिकल्स का उत्पादन होता है। इस रासायनिक यौगिक में कैंसर सेल को ब्लॉक करने की क्षमता होती है। यह शरीर में कैंसर पैदा करने वाले कैमिकल्स को रोकने में भी सहायक है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर लहसुन कैंसर के लिए जिम्मेदार फ्री रैडिकल्स की सफाई करने में भी सहायक है।

2) स्किन प्रॉब्लम्स से बचाता है: एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर अंकुरित लहसुन शरीर में फ्री रैडिकल्स को खत्म करता है जिससे आपको समय से पहले बूढ़ा होने के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। एक अध्ययन के अनुसार, लहसुन आपको न केवल झुर्रियों से बचाता है बल्कि इसमें अंगों की गिरावट को रोकने की भी क्षमता होती है।

3) इम्युनिटी सिस्टम को बनाता है मजबूत: एक अध्ययन के अनुसार पांच दिन में अंकुरित हुए लहसुन को खाने से आपके शरीर को ज्यादा मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स की मजबूत खुराक मिलती है। ये एंटीऑक्सीडेंट्स आपके इम्युनिटी सिस्टम को मज़बूत बनाकर आपको विभिन्न संक्रमण से बचाते हैं।

4) दिल को रखता है स्वस्थ: अंकुरित लहसुन फाइटोकेमिकल्स कार्सिनोजन की गतिविधि को ब्लॉक करके एंजाइम गतिविधि को बढ़ावा देता है और प्लैक के गठन को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों को भी ब्लॉक करता है। प्लैक दिल के लिए एक हानिकारक कारक है।

5) स्ट्रोक से बचाता है: लहसुन एंजोन का अच्छा स्रोत है, ये पदार्थ रक्त के थक्के के गठन से बचाता है। इसमें नाइट्राइट भी होता है, जो धमनियों को चौड़ा करने में सहायक है। ये दोनों गतिविधियां ब्रेन की ब्लड वेसल्स में खून का थक्का जमने के लिए ज़िम्मेदार हैं। फाइटोकेमिकल्स से खून का थक्का बनने की गतिविधि को रोकने में मदद मिलती है।