राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में चर्चा का विषय राष्ट्रीय शिविर और पुरस्कारों की सूची से कोच को हटाना

By भाषा | Updated: November 11, 2021 14:50 IST2021-11-11T14:50:22+5:302021-11-11T14:50:22+5:30

The topic of discussion in the National Wrestling Championship is the removal of the coach from the national camp and the list of awards | राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में चर्चा का विषय राष्ट्रीय शिविर और पुरस्कारों की सूची से कोच को हटाना

राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में चर्चा का विषय राष्ट्रीय शिविर और पुरस्कारों की सूची से कोच को हटाना

(अमनप्रीत सिंह)

गोंडा (उत्तर प्रदेश), 11 नवंबर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को डर है कि लंबे समय के राष्ट्रीय शिविरों के आयोजन को लेकर भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) की ‘ठंडी प्रतिक्रिया’ से खेल को नुकसान हो सकता है।

महासंघ का साथ ही मानना है कि पुरस्कार समिति की सिफारिशों के बावजूद कोच सुजीत मान और जगरूप राठी को द्रोणाचार्य पुरस्कार से वंचित रखना अपमान है।

डब्ल्यूएफआई ने कहा कि उन्होंने साइ से ओस्लो में सीनियर विश्व चैंपियनशिप और बेलग्रेड में अंडर-13 विश्व चैंपियनशिप से पहले पुरुष और महिला पहलवानों के लिए राष्ट्रीय शिविर के आयोजन का आग्रह किया था लेकिन एक महीने के शिविर के उनके आग्रह पर विचार नहीं किया गया।

डब्ल्यूएफआई महासचिव वीएन प्रसूद ने कहा पीटीआई से कहा, ‘‘हमें संकेत मिल रहे हैं कि साइ उपरोक्त समयके लिए राष्ट्रीय शिविर के आयोजन का इच्छुक नहीं है। वे पूछ रहे हैं कि पूरे साल शिविर की जरूरत क्या है। अगर ऐसा होता है तो इससे खेल को काफी नुकसान होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने ओस्लो चैंपियनशिप से पहले सिर्फ 10 दिन के शिविर की स्वीकृति दी और बेलग्रेड में अंडर 23 प्रतियोगिता से पहले शिविर के आयोजन से शुरुआत के हिचकने के बाद उन्होंने टूर्नामेंट से एक हफ्ते पहले दोबारा इसके बारे में पूछा। अब आप एक हफ्ते में क्या करोगे।’’

डब्ल्यूएफआई सूत्रों ने कहा कि साइ सिर्फ खेलो इंडिया शिविर को बढ़ावा देना चाहता है इसलिए यह ‘अनदेखी’ की जा रही है।

सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘हाल में कुश्ती राष्ट्रीय शिविर के लिए 50 लाख रुपये के उपकरण खरीदे गए थे। अगर खिलाड़ी शिविर में नहीं आएंगे और अपने अखाड़ों में ट्रेनिंग करेंगे तो आप इनका इस्तेमाल कब करोगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संभवत: साइ चाहता है कि पहलवान खेलो इंडिया केंद्रों में आयोजित शिविरों में हिस्सा लें लेकिन मैं आपसे कह रहा हूं कि वहां कोई नहीं जाने वाला।’’

साइ के महानिदेशक संदीप प्रधान से प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी क्योंकि वे बीमार हैं।

सीनियर भारतीय कोच मान और 70 साल के राठी के नाम की सिफारिश खेल पुरस्कार समिति ने द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए की थी लेकिन खेल मंत्रालय ने सूची को अंतिम रूप देते हुए इनके नाम हटा दिए।

प्रसूद ने कहा, ‘‘यह पहली बार हुआ है जब समिति की सिफारिश के बाद नामों को हटाया गया है। यह अपमान है। ऐसा कभी नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि कुश्ती के साथ भेदभाव किया गया है।’’

बेलग्रेड विश्व चैंपियनशिप के लिए अंडर 23 टीम के साथ गए मान ने कहा, ‘‘हमें सूचित भी नहीं किया गया कि हमारे नाम हटाए जा रहे हैं। नामों की सिफारिश होने के बाद लोगों ने हमें बधाई देनी शुरू कर दी थी। अब भी लोग फोन कर रहे हैं लेकिन हम क्या कहें। यह काफी शर्मनाक है।’’

पता चला है कि राठी इस फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण में चले गए हैं।

इस बीच डब्ल्यूएफआई की नीति में बड़े बदलाव पर चर्चा करने की तैयारी है जहां ओलंपिक के कोटा विजेताओं को खेलों से पहले ट्रायल में हिस्सा लेने को कहा जाएगा। हाल के समय तक कोटा विजेता के स्थानों को नहीं छुआ जाता था लेकिन अब इसमें बदलाव की उम्मीद है।

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