लाइव न्यूज़ :

दिन में सिर्फ एक बार ही नसीब होता था खाना, कुछ ऐसी है अर्जुन अवॉर्ड विनर सारिका काले की दास्तां

By भाषा | Updated: August 25, 2020 06:16 IST

महाराष्ट्र सरकार में खेल अधिकारी पद पर कार्यरत काले को 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा...

Open in App

प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार के लिये चुनी गयी भारतीय महिला खो-खो टीम की पूर्व कप्तान सारिका काले ने कहा कि उनकी जिंदगी में ऐसा भी समय आया था जबकि वित्तीय समस्याओं के कारण लगभग एक दशक वह दिन में केवल एक बार भोजन कर पाती थी लेकिन खेल ने उनकी जिंदगी बदल दी। 

दक्षिण एशियाई खेल 2016 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय महिला खो-खो टीम की कप्तान रही काले ने कहा, ‘‘मुझे भले ही इस साल अर्जुन पुरस्कार के लिये चुना गया है लेकिन मैं अब भी उन दिनों को याद करती हूं जब मैं खो-खो खेलती थी। मैंने लगभग एक दशक तक दिन में केवल एक बार भोजन किया। अपने परिवार की स्थिति के कारण मैं खेल में आयी। इस खेल ने मेरी जिंदगी बदल दी और अब मैं उस्मानाबाद जिले के तुलजापुर में खेल अधिकारी पद पर कार्य कर रही हूं।’’

इस 27 वर्षीय खिलाड़ी ने याद किया कि उनके चाचा महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में खेल खेला करते थे और वह उन्हें 13 साल की उम्र में मैदान पर ले गये थे। इसके बाद वह लगातार खेलती रही। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां सिलाई और घर के अन्य काम करती थी। मेरे पिताजी की शारीरिक मजबूरियां थी और इसलिए वह ज्यादा कमाई नहीं कर पाते थे। हमारा पूरा परिवार मेरे दादा-दादी की कमाई पर निर्भर था। उन समय मुझे खाने के लिये दिन में केवल एक बार भोजन मिलता था। मुझे तभी खास भोजन मिलता था जब मैं शिविर में जाती थी या किसी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये जाती थी। ’’

काले ने कहा कि कई परेशानियों के बावजूद उनके परिवार ने उनका साथ दिया और उन्हें कभी विभिन्न टूर्नामेंटों में भाग लेने से नहीं रोका। उन्होंने कहा, ‘‘खेलों में ग्रामीण और शहरी माहौल का अंतर यह होता है कि ग्रामीण लोगों को आपकी सफलता देर में समझ में आती है भले ही वह कितनी ही बड़ी क्यों न हो।’’

उनके कोच चंद्रजीत जाधव ने कहा कि काले ने वित्तीय समस्याओं के कारण यह खेल छोड़ा। जाधव ने कहा, ‘‘सारिका 2016 में अपने परिवार की वित्तीय समस्याओं के कारण परेशान थी। उसने यहां तक कि खेल छोड़ने का फैसला कर लिया था। उसकी दादी ने मुझे बताया कि उसने खुद को कमरे में बंद कर दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सारिका से बात करने के बाद वह मैदान पर लौट आयी और यह टर्निंग प्वाइंट था। उसने अपना खेल जारी रखा और पिछले साल उसे सरकारी नौकरी मिल गयी जिससे उससे वित्तीय तौर पर मजबूत होने में मदद मिली।’’

टॅग्स :अर्जुन अवॉर्डइंडियामहाराष्ट्र
Open in App

संबंधित खबरें

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतPutin Visit India: राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे का दूसरा दिन, राजघाट पर देंगे श्रद्धांजलि; जानें क्या है शेड्यूल

भारतपीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भेंट की भगवत गीता, रशियन भाषा में किया गया है अनुवाद

अन्य खेल अधिक खबरें

अन्य खेलFootball World Cup 2026: यूएस ने वीजा देने से किया इनकार, ईरान फुटबॉल वर्ल्ड कप के ड्रॉ का करेगा बहिष्कार

अन्य खेलराष्ट्रमंडल खेल 2030 : भारत की नई उड़ान!

अन्य खेलभारत करेगा 2030 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी, अहमदाबाद में होगा आयोजन

अन्य खेलWomen's FIH Hockey Junior World Cup: महिला जूनियर हॉकी टीम का ऐलान, भारतीय टीम को लीड करेंगी ज्योति सिंह

अन्य खेलकोग्निवेरा इंटरनेशनल पोलो कप की धूमधाम शुरुआत, 25 अक्टूबर को भारत-अर्जेंटीना में जबरदस्त टक्कर!