अगर दिल में चाहत हो तो इंसान कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के रंगोली गांव के रहने वाले अमोर संखन्ना ने। 27 साल के अमोल ने एक दुर्घटना में अपने दाहिने पैर की सभी उंगलियों को खो दिया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आज उनकी पहचान एक क्रिकेटर, एक एथलीट और एक स्पोर्टस टीचर के रूप में है।
अमोल ने बताया कि मेरा घर गांव की मुख्य सड़क के किनारे है और जब मैं दो साल का था, तब खेलते-खेलते सड़क पर पहुंच गया और राज्य परिवहन की बस मेरे पैर के ऊपर से गुजर गई। इस घटना के बाद मैंने पैर की पांचों उंगलियों को गंवा दिया।
अमोल को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था और उन्होंने अपने इस शौक को ही अपना पैशन बना लिया। सबको हैरानी तब हुई जब उन्होंने क्रिकेट की ट्रॉफी जीती। अमोल ने फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन करने के बाद पड़ोस के गांव के स्कूल और जूनियर कॉलेज में स्पोर्टस टीचर के रूप में काम करने लगे।
अमोल बताते हैं कि उन्होंने एथलेटिक्स के बारे में कभी सोचा नहीं था, लेकिन एक दिन क्रिकेट कोच अतुल धनावड़े ने एथलीट बनने के लिए कहा। यह कठीन काम था, लेकिन दौड़ना मुझे अच्छा लगा।
कोच के सपोर्ट के बाद अमोल ने एथलेटिक्स में हाथ आजमाया और वहां भी सफल हुए। उन्होंने अब तक अपने एक दशक के करियर में 100 मीटर, 200 मीटर, 4*100 मीटर और 4*400 मीटर रिले में नेशनल लेवल पर पांच मेडल जीते हैं। इसके अलावा उन्होंने स्टेट लेवल पर 20 से ज्यादा मेडल जीते हैं, जिसमें 10 गोल्ड मेडल हैं। इसके अलावा साल 2013 में अमोल की टीम ने मुंबई में आयोजित राज्य स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट भी जीत चुकी है।
अमोल अब बच्चों को एथलेटिक्स और बैडमिंटन की ट्रेनिंग देते हैं। पिछले तीन साल में उनकी ट्रेनिंग में बच्चो ने 7 नेशनल और 10 स्टेल लेवल के मेडल जीत चुके हैं। अमोल बताते हैं वो ट्रेनिंग की शुरुआत सुबह 5 बजे से करते हैं और दो घंटे ट्रेनिंग देते हैं। फिर शाम 5 बजे ट्रेनिंग की शुरुआत करते हैं। इसके अलावा वो हर सप्ताह कोल्हापुर सिटी जाते हैं और 30 विकलांग बच्चों को क्रिकेट की ट्रेनिंग देते हैं।