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झाझरिया ने रजत पदक दिवंगत पिता को समर्पित किया

By भाषा | Published: August 30, 2021 2:46 PM

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देवेंद्र झाझरिया के लिये पदक के रंग से ज्यादा तोक्यो पैरालंपिक में पोडियम पर खड़े होना मायने रखता है। वह स्वर्ण पदकों की हैट्रिक नहीं बना सके लेकिन रजत पदक उनके लिये शायद सबसे ज्यादा संतोषजनक रहा। इस साल सफलता के लिये उनकी प्रेरणा का लक्ष्य कुछ अलग था। वह इस बार अपने दिवंगत पिता के लिये पदक जीतना चाहते थे जो उनके मजबूत जज्बे के स्तंभ थे। पिछले साल उनके पिता का निधन हो गया, जिन्हें कैंसर था। वह उस समय उनके साथ नहीं थे और झाझरिया को यही चीज खटकती रहती है। झाझरिया जब गांधीनगर में भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के केंद्र में ट्रेनिंग कर रहे थे तब उन्हें पिता की बीमारी का पता चला। वह घर आये लेकिन उनके पिता ने उन्हें ट्रेनिंग जारी रखने के लिये भेज दिया क्योंकि वह अपने बेटे के गले में एक और पैरालंपिक पदक देखना चाहते थे। झाझरिया ने सोमवार को तोक्यो से कहा, ‘‘निश्चित रूप से, यह पदक देशवासियों के लिये है लेकिन मैं इसे अपने दिवंगत पिता को समर्पित करना चाहता हूं जो चाहते थे कि मैं पैरालंपिक में एक और पदक जीतूं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर मेरे पिता ने प्रयास नहीं किया होता तो मैं यहां नहीं होता। उन्होंने ही मुझे कड़ी ट्रेनिंग और एक और पदक जीतने के लिये प्रेरित किया। मैं खुश हूं कि आज मैंने उनका सपना पूरा कर दिया। ’’ चालीस वर्षीय झाझरिया पहले ही भारत के महान पैरालंपियन हैं, जिन्होंने 2004 और 2016 में स्वर्ण पदक अपने नाम किये थे। उन्होंने सोमवार को भाला फेंक एफ46 स्पर्धा में 64.35 मीटर के नये व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो से रजत पदक अपने नाम किया। झाझरिया जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ते समय दुर्घटनावश बिजली की तार छू जाने से उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था। उनके नाम पर पहले 63.97 मीटर के साथ विश्व रिकार्ड दर्ज था जिसमें उन्होंने सुधार किया। लेकिन श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने शानदार प्रदर्शन किया और 67.79 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता। श्रीलंकाई एथलीट ने अपने इस प्रयास से झाझरिया का पिछला विश्व रिकार्ड भी तोड़ा। झाझरिया ने कहा कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ किया लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि यह श्रीलंकाई एथलीट का दिन था। उन्होंने कहा, ‘‘खेल और प्रतियोगिता में ऐसा होता है। उतार चढ़ाव होता रहता है। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ किया और अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। लेकिन आज का दिन श्रीलंकाई एथलीट का था। ’’ यह पूछने पर कि क्या वह चीन के हांगझोऊ में होने वाले एशियाई पैरा खेलों में भाग लेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘मेरी पैरालंपिक में स्पर्धा अभी खत्म हुई है और मैं अभी किसी अन्य चीज के बारे में नहीं सोच सकता। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्वदेश लौटने के बाद ही फैसला करूंगा। मैं अपने परिवार और अपने कोच से बात करके फैसला करूंगा। ’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे फोन पर बात की थी। यह पूछने पर कि उन्होंने क्या कहा तो झाझरिया ने कहा, ‘‘वह मुझे देश को गौरवान्वित करने के लिये बधाई दे रहे थे। जब आपके देश के प्रधानमंत्री आपको अच्छा करने के लिये प्रोत्साहित कर रहे हों तो इससे खुशी की चीज कुछ और नहीं हो सकती। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने पैरालंपिक के लिये रवाना होने से पहले हम सभी से बात की थी और हम सभी को प्रोत्साहित भी करते रहे। यह देश के खेलों के लिये अच्छा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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