इस तैराक ने राष्ट्रीय स्तर पर जीते थे कई पदक, अब पटना में चाय बेचने को है मजबूर
By एएनआई | Updated: November 20, 2019 16:27 IST2019-11-20T16:27:32+5:302019-11-20T16:27:32+5:30
गोपाल प्रसाद यादव ने कभी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का तैराक बनने का सपना देखा था। उनकी घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी और इस वजह से परिवार की देखभाल के लिए अब उन्हें चाय बेचनी पड़ रही है।

पटना की सड़कों पर चाय बेच रहा है राष्ट्रीय स्तर का तैराक (फोटो-एएनआई)
देश में खिलाड़ियों और खासकर एथलीटों की हालत क्या है, इसकी एक और बानगी देखने को मिली है। मामला बिहार की राजधानी पटना का है जहां कभी राष्ट्रीय स्तर के तैराक रहे गोपाल प्रसाद यादव अब जीविका के लिए चाय बेचने को मजबूर हैं। गोपाल नयाटोला के काजीपुर में एक छोटी सी दुकान में चाय बेचने का काम करते हैं। इस मामले ने बिहार में भी खिलाड़ियों की हालत को लेकर सवाल खड़े कर दिये है।
गोपाल ने कभी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का तैराक बनने का सपना देखा था। उनकी घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी और इस वजह से परिवार की देखभाल के लिए अब उन्हें चाय बेचनी पड़ रही है। उन्होंने अपनी दुकान का नाम भी 'नेशनल स्विमर टी स्टॉल' रखा है।
न्यूज एजेंसी एजेंसी एएनआई के अनुसार गोपाल से जब पूछा गया कि इसका नाम उन्होंने ऐसा क्यों रखा। उन्होंने बताया कि यह खिलाड़ियों की दुर्दशा को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे नाम से लोगों को भी पता चलेगा कि एक राष्ट्रीय स्तर का तैराक अपनी आजीविका के लिए आज चाय बेच रहा है।
गोपाल ने 1987 में बिहार का पहली बार राष्ट्रीय तैराकी प्रतिस्पर्धा में प्रतिनिधित्व किया था। इस प्रतियोगिता का आयोजन कोलकाता में किया गया था। उसके बाद उन्होंने केरल में 1988-1989 में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की तैराकी प्रतिस्पर्धा में भी हिस्सा लिया। इन सबके अलावा गोपाल राज्य प्रतिस्पर्धा में 100 मीटर बैकस्ट्रोक प्रतियोगिता में भी प्रथम आए थे। इसका आयोजन 1988 में बीसीए दानापुर में किया गया था।
गोपाल 1990 में नौकरी के लिए डाक विभाग में साक्षात्कार के लिए गए थे। हालांकि उन्हें वहां पर नौकरी नहीं मिल पाई। गोपाल अब गंगा नदी में तैराकी सिखा रहे हैं। गोपाल ने विश्वास जताया कि इससे उन्होंने अपने अंदर के तैराक को जिंदा रखा है।
गोपाल के अनुसार उनके बच्चे भी बहुत अच्छी तैराकी जानते है, लेकिन उन्होंने अपने पिता की स्थिति को देखकर तैराकी छोड़ दी। गोपाल की चाय की दुकान में आने वाले ग्राहक भी मानते हैं कि यह बहुत दुख की बात है, एक राष्ट्रीय स्तर के तैराक को आज सड़क पर चाय बेचनी पड़ रही है।