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WFI प्रमुख चुनाव के विरोध में बजरंग पुनिया ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाया, कहा- मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री को लौटा रहा हूं

By रुस्तम राणा | Updated: December 22, 2023 17:46 IST

पहलवान बजरंग पुनिया ने ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, "मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री को लौटा रहा हूं...।"

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ठळक मुद्देपुनिया ने पीएम मोदी को अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटाते हुए एक पत्र लिखापीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में उन्होंने पूरे विवाद को समझाया और पुरस्कार लौटाने का कारण बतायाकहा- 21 दिसंबर को डब्ल्यूएफआई के चुनाव में, महासंघ एक बार फिर बृजभूषण के अधीन आ गया

नई दिल्ली: डबल्यूएफआई प्रमुख चुनाव के विरोध में साक्षी मलिक के संन्यास की घोषणा के एक दिन बाद बजरंग पुनिया ने शुक्रवार को पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया है। पहलवान बजरंग पुनिया ने ट्वीट किया, "मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री को लौटा रहा हूं...।" पुनिया ने पीएम मोदी को अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटाते हुए एक पत्र लिखा। उन्होंने कहा, "यह घोषणा करने के लिए यह सिर्फ मेरा पत्र है। यह मेरा बयान है।"

बजरंग पुनिया ने प्रधानमंत्री को लिखे खत में लिखा,  "प्रिय पीएम जी, आशा है कि आपका स्वास्थ्य ठीक है। आप कई कामों में व्यस्त होंगे लेकिन मैं देश के पहलवानों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए यह लिख रहा हूं। आप जानते होंगे कि देश की महिला पहलवानों ने जनवरी में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था इस साल बृष भूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। मैं भी उनके विरोध में शामिल हुआ। सरकार द्वारा कड़ी कार्रवाई का वादा करने के बाद विरोध बंद हो गया।

लेकिन तीन महीने बाद भी बृजभूषण के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं हुई। हम अप्रैल में फिर से सड़कों पर उतरे ताकि पुलिस कम से कम उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करे। जनवरी में 19 शिकायतकर्ता थे लेकिन अप्रैल तक यह संख्या घटकर 7 रह गई। इसका मतलब है कि बृज भूषण ने 12 महिला पहलवानों पर अपना प्रभाव डाला। आंदोलन 40 दिनों तक चला। इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गई। हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी। 

जब ऐसा हुआ तो हमें समझ नहीं आया कि हम क्या करें, इसलिए हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची। जब वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। इसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं। हमारे साथ न्याय होगा। इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से वृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे। हमने उनकी बात मवानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया, क्योंकि कुश्ती संघ का हल सरकार कर देगी और न्या की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी, ये दो बातें हमें तर्कसंगत लगीं। 

लेकिन 21 दिसंबर को डब्ल्यूएफआई के चुनाव में, महासंघ एक बार फिर बृज भूषण के अधीन आ गया। उन्होंने खुद कहा था कि वह हमेशा की तरह महासंघ पर हावी रहेंगे। भारी दबाव में आकर, साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा की।  हम सभी ने आंसुओं में रात बिताई। हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, या कहां जाएं। सरकार ने हमें बहुत कुछ दिया है। मुझे 2019 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। मुझे अर्जुन, खेल रत्न पुरस्कार भी मिला। जब मुझे ये पुरस्कार मिले, तो मैं सातवें आसमान पर था। लेकिन आज दुख अधिक है और इसका कारण यह है कि एक महिला पहलवान ने अपनी सुरक्षा के कारण खेल छोड़ दिया।

खेलों ने हमारी महिला खिलाड़ियों को सशक्त बनाया है, उनका जीवन बदल दिया है। इसका सारा श्रेय पहली पीढ़ी की महिला एथलीटों को जाता है। हालात ऐसे हैं कि जो महिलाएं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एंबेसडर हो सकती थीं, वे अब खेलों में अपने कदम पीछे खींच रही हैं। और हम 'पुरस्कृत' पहलवान कुछ नहीं कर सके। मैं पद्मश्री पुरस्कार विजेता के रूप में अपना जीवन नहीं जी सकता जब हमारी महिला पहलवानों का अपमान किया जाता है। इसलिए मैं अपना पुरस्कार आपको लौटाता हूं।"

टॅग्स :बजरंग पूनियाWFIसाक्षी मलिक
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