एशियन गेम्स: पैरों में 12 अंगुलियों की तकलीफ झेली, दांत दर्द से जूझती रहीं, फिर भी स्वप्ना बर्मन ने जीता ऐतिहासिक गोल्ड

By अभिषेक पाण्डेय | Published: August 30, 2018 02:00 PM2018-08-30T14:00:57+5:302018-08-30T14:02:44+5:30

Swapna Barman: भारत के लिए हेप्टाथलॉन में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली स्वप्ना बर्मन की कहानी किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है

Asian Games: Swapna Barman, daughter of rickshaw puller, won historical heptathlon gold | एशियन गेम्स: पैरों में 12 अंगुलियों की तकलीफ झेली, दांत दर्द से जूझती रहीं, फिर भी स्वप्ना बर्मन ने जीता ऐतिहासिक गोल्ड

स्वप्ना बर्मन ने हेप्टाथलॉन में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

जकार्ता, 30 अगस्त: हेप्टाथलॉन में भारत के लिए पहला एशियन गेम्स गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वालीं स्वप्ना बर्मन की कामयाबी के ये सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा है। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले से आने वाली स्वप्ना के पिता रिक्शाचालक और मां नौकरानी का काम करती थीं। 

पूरे इवेंट में दांत दर्द से जूझती रहीं स्वप्ना, फिर भी जीता गोल्ड

सात साल पहले स्ट्रोक की वजह से उनके पिता ने बिस्तर पकड़ लिया। लेकिन स्वप्ना ने हार नहीं मानी और वह कर दिखाया जो भारत के लिए एशियन गेम्स के इतिहास में और कोई नहीं कर सका है। खास बात ये कि स्वप्ना ने इस पूरे इवेंट के दौरान दांत दर्द से जूझती रहीं और दर्द कम करने के लिए गाल पर टेप बांधकर खेलीं लेकिन हिम्मत न हारते हुए गोल्ड जीता। 

स्वप्ना के दांत का दर्द इतना बढ़ गया था कि वह इवेंट के आखिरी दिन इससे हटने की सोच रही थीं लेकिन आखिरकार उन्होंने गोल्ड जीतते हुए इतिहास रच दिया। स्वप्ना ने दो दिन तक चले सात इवेंट्स में हिस्सा लेते हुए 6026 अंक जुटाया और गोल्ड जीता। इस स्पर्धा का सिल्वर चीन और ब्रॉन्ज मेडल जापान ने जीता।

एशियन गेम्स में हेप्टाथलॉन में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय

एशियन गेम्स के इतिहास में स्वप्ना से पहले हेप्टाथलॉन में भारत के लिए सिर्फ तीन खिलाड़ियों ने मेडल जीते थे लेकिन उनमें से कोई भी गोल्ड नहीं जीत सका था। उनसे पहले बंगाल की सोमा विस्वास और कर्नाटक की जेजे शोभा और प्रमिला अयप्पा ने इस इवेंट में मेडल जीते थे। सोमा और शोभा ने बुसान एशियन गेम्स (2002) और दोहा एशियन गेम्स (2006) में क्रमश: सिल्वर और ब्रॉन्ज जीते थे जबकि प्रमिला ने 2010 ग्वांग्झू गेम्स में ब्रॉन्ज जीता था। 

स्वप्ना के पैरों में हैं 12 अंगुलियां, जूते पहनने पर होता है दर्द

स्वप्ना बर्मन के दोनों पैरों में छह-छह अंगुलियां और यानी उनके पैरों में 12 अंगुलियां हैं। इस वजह से उन्हें आम जूते पहनने में दिक्कत होती है। ये समस्या खासतौर पर ट्रेनिंग के दौरान बढ़ जाती है। बर्मन इस दर्द से निपटने के लिए बड़ी साइज के जूते पहनकर खेलती हैं। लेकिन इन तमाम दिक्कतों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने नया इतिहास रच दिया है। 

ऐतिहासिक मेडल जीतने के बाद मुस्कुराते हुए स्वप्ना ने कहा, 'मैंने इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर जीता इसलिए ये खास है। मैं सामान्य लोगों द्वारा पहने जाने वाले जूते प्रयोग करती हूं जो पांच अंगुलियां वाले लोगों के लिए होते हैं। ट्रेनिंग के दौरान इससे बहुत दर्द होता है। ये बहुत ही असुविधाजनक होता है, फिर चाहे मैं स्पाइक्स पहनूं या सामान्य जूते।' 

स्वप्नना के सपने को पूरा करने के लिए उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे। उनकी खेल की ट्रेनिंग के लिए फंड जुटाने के लिए उनके परिवार को संघर्ष करना पड़ा। लेकिन अपनी प्रतिभा के दम पर उन्हें स्कॉलरशिप मिल गई, जिसमें राहुल द्रविड़ से मिली स्पॉन्सरशिप भी शामिल है। 

पूरे करियर में चोट से जूझती रहीं हैं स्वप्ना

स्वप्ना इस इवेंट से पहले घुटने के दर्द से भी जूझ रही थीं। चोट स्वप्ना के पूरे करियर का हिस्सा रहा है और पीठ दर्द की वजह से एक बार तो वह इस खेल को छोड़ने का मना बना चुकी थीं। लेकिन सपना ने सचिन तेंदुलकर को पीठ दर्द से उबरने में मदद करने वाले फिजियोथेरेपिस्ट जॉन ग्लोस्टर से संपर्क किया। ग्लोस्टर ने बर्मन को सर्जरी की सलाह दी लेकिन उन्होंने एशियन गेम्स मेडल जीतने के लिए इसे टाल दिया।

एशियन गेम्स में जाने से पहले वह जब उत्तरी बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले स्थित अपने गांव घोषपाड़ा में अपने परिवार से मिली थीं तो अपनी मां बसाना देवी से वादा किया था, 'मेडल नहीं जीता तो घर नहीं लौटूंगी (मेडल न जीतले, बाड़ी फिरबो ना)'। अब स्वप्ना ने नए अध्याय के साथ ये वादा पूरा कर दिखाया है।

Web Title: Asian Games: Swapna Barman, daughter of rickshaw puller, won historical heptathlon gold

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