महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान के बीच शिवसेना ने अजित पवार पर तंज कसा है। शिवसेना ने कहा कि अब अजित पवार का खेल खत्म हो चुका है। पार्टी ने कहा कि अगर तुम (अजित पवार) शरद पवार के भतीजे के रुप में घूमते हो तो पहले बारामती से, विधायक पद से और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर तुम्हें अपनी अलग राजनीति करनी चाहिए थी। लेकिन जो कुछ चाचा ने कमाया उसे चोरी करके ‘मैं नेता, मेरी पार्टी’ कहना पागलपन की हद है। शरद पवार ने दो बार कांग्रेस छोड़ी और बड़ी हिम्मत के साथ अपनी नई पार्टी खड़ी की।
बता दें कि यह बात शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा है। पढ़ें मुखपत्र सामना में छपी ये संपादकीय...
सत्तांधों ने महाराष्ट्र के स्वाभिमान और प्रतिष्ठा का बाजार लगा रखा है। ऐसे लोग जिनका महाराष्ट्र से किसी भी प्रकार का भावनात्मक संबंध नहीं है, वे लोग शिवराय के महाराष्ट्र की इज्जत धूल में मिला सकते हैं। महाराष्ट्र के गठन और निर्माण में इन लोगों ने खून तो छोड़ो पसीने की एक भी बूंद नहीं बहाई होगी, ऐसे लोगों ने यह राजनीतिक घोटाला किया है।
शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी इन तीनों पार्टियों ने मिलकर राजभवन में 162 विधायकों का पत्र प्रस्तुत किया है। ये सभी विधायक राजभवन में राज्यपाल के समक्ष खड़े रहने को तैयार हैं। इतनी साफ तस्वीर होने के बावजूद राज्यपाल ने किस बहुमत के आधार पर देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई?
इन लोगों ने जाली कागज पेश किए और संविधान के रक्षक भगतसिंह नामक राज्यपाल ने आंख बंद करके उन पर विश्वास किया। फिर तीनों पार्टियों के विधायकों ने अपने हस्ताक्षरवाला पत्र सौंपा, इस पर भगतसिंह राज्यपाल महोदय का क्या कहना है? एक भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया था, यह तो हम जानते हैं।
वहीं, दूसरे भगतसिंह के हस्ताक्षर से रात के अंधेरे में लोकतंत्र और आजादी को वध स्तंभ पर चढ़ा दिया गया। महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ उसे ‘चाणक्य-चतुराई’ या ‘कोश्यारी साहेब की होशियारी’ कहना भूल होगी। विधायकों का अपहरण करना और उन्हें दूसरे राज्य में ले जाकर कैद रखना, ये कैसी चाणक्य नीति है? अजित पवार का सारा खेल खत्म हो गया तब उन्होंने कहा कि ‘शरद पवार ही हमारे नेता हैं और मैं राष्ट्रवादी का हूं।’ ये हार की मानसिकता है।
अगर तुम शरद पवार के भतीजे के रूप में घूमते हो तो पहले बारामती से, विधायक पद से और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर तुम्हें अपनी अलग राजनीति करनी चाहिए थी। लेकिन जो कुछ चाचा ने कमाया उसे चोरी करके ‘मैं नेता, मेरी पार्टी’ कहना पागलपन की हद है। शरद पवार ने दो बार कांग्रेस छोड़ी और बड़ी हिम्मत के साथ अपनी नई पार्टी खड़ी की।
50 सालों तक संसदीय राजनीति में टिके रहना आसान नहीं है। कई गर्मियां-बरसात और तूफान झेलकर वे खड़े रहे। लेकिन भाजपा द्वारा मुकदमा दायर करते ही और ‘ईडी’ के नाम पर ब्लैकमेल करते ही अजीत पवार ने शरद पवार की राजनीतिक इस्टेट में सेंध लगा दी और वहां का माल चुराकर वे भाजपा के खेमे में चले गए। एक पुराने पत्र का आधार देते हुए वे राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधि मंडल गट को अपने नियंत्रण में रखने की जुगत भिड़ा रहे हैं और अजीत पवार सही हैं, भाजपावाले ये बताने में जुटे हुए हैं।
कल तक अजीत पवार अपने भाषणों में कहते थे, ‘ये अजीत पवार कभी झूठ नहीं बोलता।’ लेकिन अब वे रोज झूठ बोलते हैं। राज्यपाल को भी उन्होंने झूठा पत्र दिया है। सरकार कोई भी बनाए। जिसके पास बहुमत है उसे ये अधिकार है लेकिन इसके लिए संविधान, राजभवन और सरकारी नियमों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए, जिससे इन संस्थाओं पर से लोगों का विश्वास उठ जाए।
फड़नवीस के पास बहुमत था तो बहुमत का आंकड़ा बनाने के लिए नई चांडाल चौकड़ी वाले ‘ऑपरेशन लोटस’ की क्या जरूरत थी? उस चौकड़ी का एक सदस्य तो सीधे कहता है, ‘बाजार में विधायक खुद को बेचने के लिए तैयार हैं।’ ये थैलीशाही की ही राजनीति है। ये चौकड़ी पैसों का बैग लेकर घूम रही है। संघ के स्वयंसेवक कहे जानेवाले लोगों पर ऐसा समय क्यों आए?
नितिन गडकरी एक अच्छे राजनीतिज्ञ हैं, ऐसा समझा जाता था, ये भी गलत साबित हुआ। इस पूरे मामले को उन्होंने क्रिकेट के खेल जैसा बताया। हम भी उनसे कहते हैं कि अपनी सेहत का ध्यान रखो। चाहे जितनी भी ‘फिक्सिंग’ हो जाए, ‘सत्यमेव जयते’ के घोषवाक्य की हार जुआरी नहीं कर सकते। जब बहुमत सिद्ध होगा तब सत्य की जीत का आनंद महाराष्ट्र के १०५ शहीदों को होगा। राज्य की जनता से हम सिर्फ इतना ही कहना चाहते हैं कि चिंता न करें!