एक्सक्लूसिव: बेरुखी के साथ एसटी कर्मचारी ले रहे गणवेश, 20 करोड़ से 73 करोड़ हुई ड्रेस की लागत
By वसीम क़ुरैशी | Updated: September 26, 2019 11:05 IST2019-09-26T10:49:51+5:302019-09-26T11:05:05+5:30
बीते 50 साल से एसटी में केवल दो ही रंग- खाकी व गहरे नीले रंग की ड्रेस ही हुआ करती थी। इसके लिए कर्मचारियों को कपड़ा मुहैया कराया जाता था। वे अपने नाप के हिसाब से सिलवाते थे।

एक्सक्लूसिव: बेरुखी के साथ एसटी कर्मचारी ले रहे गणवेश, 20 करोड़ से 73 करोड़ हुई ड्रेस की लागत
महाराष्ट्र राज्यमार्ग परिवहन महामंडल (एसटी) में करीब चार गुना अधिक लागत के साथ मुहैया कराया जा रहा गणवेश ज्यादातर कर्मचारियों को रास नहीं आ राह है। हैरत की बात यह है कि पिछले करीब 4 साल में राज्य में करीब 5000 कर्मचारियों की बनी हुई हुई है।
इसके बावजूद कर्मचारियों की दिए जाने वाले गणवेश की लागत लगभग चौगुनी हो गई जबकि डेढ़ साल पहले तक यही लागत 20 करोड़ रुपये के आसपास थी। राज्यस्तर पर एसटी महामंडल में वर्तमान 1 लाख 5 हजार कर्मचारी हैं।
इसमें 75 हजार कर्मचारियों वर्दी अथवा गणवेश लागू है। इनमें ड्राइवर, कंडक्टर, टीआई, एटीआई, सुपरवाइजर, सिपाही, मैकेनिकल स्टॉफ व सुरक्षाकर्मी आदि शामिल हैं।
बीते 50 साल से एसटी में केवल दो ही रंग- खाकी व गहरे नीले रंग की ड्रेस ही हुआ करती थी। इसके लिए कर्मचारियों को कपड़ा मुहैया कराया जाता था। वे अपने नाप के हिसाब से सिलवाते थे। डेढ़ साल पहले तक कपड़े और सिलवाई की लागत 20 करोड़ रुपये तक सिमटी हुई थी, लेकिन डेढ़ साल से रेडीमेड वर्दी की लागत 73 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
इस मामले में नागपुर विभागीय स्तर पर वर्कशॉप के अधिकारी कोई खुलासा करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन आधिकारिक सुत्रों की मानें तो अधिकांश कर्मचारी रेडीमेड ड्रेस के नाप की न होने की वजह से दिक्कत महसूस कर रहे हैं। यहीं तकनीकी कर्मचारियों को हल्के रंग की ड्रेस दिए जाने के चलते सुधार कार्य के दौरान ये जल्दी गंदी हो रही हैं। डेढ़ साल पहले मुंबई की किसी कंपनी को रेडीमेड वर्दी का टेंडर दिए जाने के साथ इसमें कई रंग भी शामिल कर दिए गए।
एसटी कामगार संगठन के विभागीय सचिव पुरुषोत्तम इंगोले का कहना है कि कई रंगों में रेडीमेड गणवेश दिए जा रहे हैं, लेकिन फिटिंग सही नहीं है। महिला कर्मचारियों को भी असुविधाओं का समाना करना पड़ रहा है। पहले महज दो रंगों में कपड़ा दिया जाता था, इसमें एसटी को कम लागत लगती थी और कर्मचारियों को अपने नाप की ड्रेस सिलवाने पर संतोष मिलता था।
ज्यादा ढीले या चुस्त कपड़े दोनों ही कामकाज के लिहाज से सही नहीं है। कपड़े के मामले में कर्मचारियों की सुविधा को तरजीह दी जानी चाहिए।