MP Cabinet Expansion: एमपी विधानसभा चुनाव से 3 महीने पहले मंत्रिमंडल विस्तार किया गया है। यह कदम साल के अंत में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उठाया जा रहा है। ब्राह्मण नेता और विंध क्षेत्र के रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ला और बालाघाट से विधायक गौरीशंकर बिसेन और राहुल लोधी को शामिल किया है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले शनिवार को तीन भाजपा विधायकों को मंत्री के रूप में शामिल करके अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। इसके साथ ही चौहान के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में अब 34 सदस्य हो गए हैं। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सुबह करीब नौ बजे यहां राजभवन में तीन विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई।
पूर्व मंत्री, ब्राह्मण नेता और विंध क्षेत्र के रीवा से चार बार विधायक राजेंद्र शुक्ला, महाकोशल क्षेत्र के बालाघाट से सात बार विधायक एवं मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन और बुंदेलखंड क्षेत्र में टीकमगढ़ जिले के खरगापुर से विधायक राहुल लोधी ने मंत्री पद की शपथ ली।
राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि शुक्ला और बिसेन ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली, वहीं लोधी ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें अभी तक विभागों का आवंटन नहीं किया गया है। लोधी भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती के भतीजे हैं। बिसेन (71) और लोधी (46) अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से हैं, जो मध्य प्रदेश की आबादी का 45 प्रतिशत से अधिक है।
शुक्ला के शामिल होने से विंध क्षेत्र से मंत्रियों की संख्या चार हो जाएगी जबकि बिसेन के आने से महाकौशल इलाके से दो तथा लोधी के शामिल होने से बुंदेलखंड से मंत्रियों की संख्या पांच हो जाएगी। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के छोटे भाई जालम सिंह और भाजपा एससी (अनुसूचित जाति) मोर्चा के अध्यक्ष लालसिंह आर्य के नाम भी चर्चा में थे लेकिन वे कैबिनेट में जगह नहीं बना सके।
मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ भाजपा ने तीन महीने से भी कम समय में होने वाले चुनावों से पहले मध्य प्रदेश में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को संतुलित करने की कोशिश की है। मध्य प्रदेश में पिछला विधानसभा चुनाव 28 नवंबर, 2018 को हुआ था।
संवैधानिक मानदंडों के अनुसार, यह संख्या 35 तक जा सकती है, जो कि 230 सदस्यों वाली मप्र विधानसभा का 15 प्रतिशत है। मंत्रिपरिषद का आखिरी बार विस्तार जनवरी 2021 में हुआ था। सत्ता विरोधी लहर को मात देने, जातिगत समीकरणों को संतुलित करने और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की सिफारिश पर विस्तार हुआ।