'विज्ञापन के लिए पैसा है, आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए नहीं', SC ने दिल्ली सरकार से 3 साल में विज्ञापन पर खर्च का हिसाब मांगा

By रुस्तम राणा | Updated: July 3, 2023 18:42 IST2023-07-03T18:30:41+5:302023-07-03T18:42:40+5:30

न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब उन्हें बताया गया कि दिल्ली सरकार बजटीय बाधाओं के कारण आरआरटीएस परियोजना (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) में योगदान नहीं दे रही है।

'You Have Funds For Advertisements, But Not For RRTS Project?'says SC to Kejriwal Govt | 'विज्ञापन के लिए पैसा है, आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए नहीं', SC ने दिल्ली सरकार से 3 साल में विज्ञापन पर खर्च का हिसाब मांगा

'विज्ञापन के लिए पैसा है, आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए नहीं', SC ने दिल्ली सरकार से 3 साल में विज्ञापन पर खर्च का हिसाब मांगा

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने पिछले 3 साल में विज्ञापन पर खर्च का दो सप्ताह के भीतर मांगा हिसाबपीठ ने आदेश में कहा, दिल्ली राज्य सरकार ने परियोजना के लिए धन का योगदान करने में असमर्थता व्यक्त की हैचूंकि दिल्ली के एनसीटी की ओर से धन की कमी परियोजना में एक बाधा प्रतीत होती है

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों के लिए इस्तेमाल किए गए फंड का खुलासा करते हुए दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब उन्हें बताया गया कि दिल्ली सरकार बजटीय बाधाओं के कारण आरआरटीएस परियोजना (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) में योगदान नहीं दे रही है।

पीठ ने आदेश में कहा, दिल्ली राज्य सरकार ने परियोजना के लिए धन का योगदान करने में असमर्थता व्यक्त की है। चूंकि दिल्ली के एनसीटी की ओर से धन की कमी परियोजना में एक बाधा प्रतीत होती है, इसलिए हम दिल्ली के एनसीटी से राज्य सरकार द्वारा विज्ञापनों के लिए उपयोग किए गए धन को बताने के लिए एक हलफनामा दायर करने का आह्वान करते हैं क्योंकि परियोजना काफी महत्वपूर्ण है। पिछले तीन वित्तीय वर्षों का विवरण प्रस्तुत किया जाए। पर्यावरण संबंधी मुद्दों से संबंधित मामलों के एमसी मेहता बैच की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया गया था।

पीठ को सूचित किया गया कि दिल्ली सरकार इस परियोजना, खासकर दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर में योगदान देने के लिए तैयार नहीं है। इस संबंध में नियुक्त आयोग को मामला भेजने की मांग की गयी ताकि कोई निर्णय लिया जा सके। मामले में उपस्थित वकीलों में से एक ने कहा कि दिल्ली सरकार ने भी इसी तरह का रुख अपनाया है और दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के लिए धन जारी करने से परहेज किया है। 

न्यायमूर्ति कौल ने पूछा, "क्यों?" इस पर वकील ने जवाब दिया, “धन की कमी के कारण। वह कैबिनेट का निर्णय था”। न्यायमूर्ति कौल ने संकेत दिया कि, यदि आवश्यक हुआ, तो न्यायालय विज्ञापन के लिए उपयोग की जाने वाली धनराशि को परियोजना में लगाने के आदेश पारित करेगा। उन्होंने कहा, "आइए देखें कि आप कितना फंड खर्च कर रहे हैं... हम कहेंगे कि विज्ञापन के लिए सारा फंड डायवर्ट कर दिया जाएगा... क्या आप उस तरह का ऑर्डर चाहते हैं?"

Web Title: 'You Have Funds For Advertisements, But Not For RRTS Project?'says SC to Kejriwal Govt

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे