यमुना प्रदूषण : एनडीएमसी दूसरे पर जिम्मेदारी नहीं डाल सकती : एनजीटी
By भाषा | Updated: November 3, 2021 16:27 IST2021-11-03T16:27:02+5:302021-11-03T16:27:02+5:30

यमुना प्रदूषण : एनडीएमसी दूसरे पर जिम्मेदारी नहीं डाल सकती : एनजीटी
नयी दिल्ली, तीन नवंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यमुना नदी में कूड़ा या अन्य सामान फेंकने के लिए 5,000 रुपये जुर्माना देने से इनकार करने वाले उल्लंघनकर्ताओं को तलब करने के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। अधिकरण ने कहा कि नगरपालिका अपनी जिम्मेदारी किसी अन्य निकाय या प्राधिकरण पर नहीं डाल सकती।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति बृजेश सेठी और विशेषज्ञ सदस्य नगिन नंदा की पीठ ने नगर निगम की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें दिल्ली सरकार के राजस्व अधिकारियों (जिलाधिकारियों और उपसंभागीय जिलाधिकारियों) को एनजीटी के 2015 के आदेश के अनुसार प्रत्येक घटना पर पांच हजार रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना वसूली को लागू करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था।
पीठ ने अपने एक नवंबर के आदेश में कहा, “हमने आठ मई 2015 का आदेश देखा है और यह बहुत स्पष्ट है। हमें नहीं लगता कि इसमें किसी संशोधन की आवश्यकता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के किसी भी प्रावधान के तहत विचाराधीन आवेदन सुनवाई योग्य नहीं है।”
आदेश में कहा गया, “हमारा यह भी विचार है कि इस अधिकरण द्वारा निर्देशित उचित कार्रवाई करने के लिए आवेदक प्रतिष्ठान, जोकि स्वयं एक वैधानिक स्थानीय निकाय है, के पास पर्याप्त शक्ति है। यह अपनी जिम्मेदारी और दायित्व किसी अन्य निकाय या प्राधिकरण पर नहीं डाल सकता है।
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