पिछले मार्च की तुलना में इस साल महँगाई दर हुई दुगुनी, मुद्रास्फीति की दर 14.55 प्रतिशत, सरकार ने जारी किया आँकड़ा
By विशाल कुमार | Published: April 18, 2022 12:59 PM2022-04-18T12:59:15+5:302022-04-18T13:47:52+5:30
मार्च 2021 में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति 7.89 प्रतिशत थी। इसका मतलब है कि डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति अब लगातार 12 महीनों से दो अंकों में है।
नई दिल्ली: वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 18 अप्रैल को जारी आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित भारत की मुद्रास्फीति मार्च में चार महीने के उच्च स्तर 14.55 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो फरवरी में 13.11 प्रतिशत थी।
मार्च 2021 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 7.89 प्रतिशत थी। इसका मतलब है कि डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति अब लगातार 12 महीनों से दो अंकों में है। पिछली बार डब्ल्यूपीआई का ऐसा स्तर नवंबर, 2021 में दर्ज किया गया था, जब मुद्रास्फीति 14.87 प्रतिशत थी।
मार्च में थोक मुद्रास्फीति में वृद्धि 12 अप्रैल को जारी आंकड़ों के बाद आई है, जिसमें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर खुदरा मुद्रास्फीति दर पिछले महीने 17 महीने के उच्च स्तर 6.95 प्रतिशत पर पहुंच गई।
समीक्षाधीन माह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.06 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 8.19 प्रतिशत थी। इस दौरान सब्जियों की महंगाई दर 26.93 फीसदी से घटकर 19.88 फीसदी रही।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "मार्च 2022 में ऊंची मुद्रास्फीति मुख्य रूप से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, मूल धातुओं आदि की कीमतों में वृद्धि के चलते रही। रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण भी महंगाई बढ़ी।"
समीक्षाधीन माह में विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति 10.71 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 9.84 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति 34.52 प्रतिशत थी। कच्चे तेल की मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 83.56 प्रतिशत हो गई, जो फरवरी में 55.17 प्रतिशत थी।
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 6.95 प्रतिशत रही। यह लगातार तीसरा महीना है, जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति आरबीआई द्वारा तय छह प्रतिशत की सीमा से अधिक है।